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नवजात को भी हो सकता है लो बीपी, जानिए कारण व उपचार

  • Edited By Sunita Rajput,
  • Updated: 29 Jan, 2020 01:16 PM
नवजात को भी हो सकता है लो बीपी, जानिए कारण व उपचार

अक्सर लोगों को लगता है कि लो बीपी की समस्या सिर्फ बड़ों को होती है जबकि ऐसा नहीं है। आजकल नवजात शिशु में भी लो बीपी की समस्या काफी देखने को मिल रही है। अब आप सोच रहे होंगे बच्चे को यह समस्या क्यों होती है? इसके पीछे क्या कारण है?  ऐसी स्थिती में क्या करें? परेशान ना हो क्योंकि आज हम आपको आपके इन्हीं सारे सवालों के जवाब देंगे।

सबसे पहले जानिए कारण

प्रेगनेंसी के दौरान गलत खान-पान या ठीक से ध्यान न रखने की वजह से भ्रूण पर असर पड़ता है। ऐसे में डिलीवरी के बाद उन्हें लो बीपी की समस्या हो सकती हैं। वहीं...

. डिलीवरी के वक्त या बाद में अधिक खून बह जाना
. किसी तरह का कोई इंफैक्शन
. प्रेगनेंसी में बताई गई दवाइयां ठीक से ना लेना
. वातावरण में बदलाव होने का बच्चे पर असर पड़ना
. भ्रूण का कमजोर होना शिशु में लो बीपी का कारण बनता है।

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हालांकि कभी-कभी नवजात शिशु में लो ब्लड प्रेशर की समस्या का कारण पता लगाना मुश्किल होता है। कई बार तो यह परेशानी बच्चे में सांस लेने की समस्या से जुड़ी होती है।

इलाज

1. ऐसी स्थिति में नवजात बच्चे को ज्यादा वैक्सीनेशन और इंजेक्शन दिए जाते है। 
2. बच्चे को मशीन या ऐसे वातावरण में रखा जाता है जहां उसका ब्लड प्रेशर नॉर्मल रहे। 
3. कभी-कभी बच्चे में खून की कमी के कारण यह समस्या होती है, ऐसे में उसे खून चढ़ाया जाता है। 
4. नवजात बच्चे को ऐसी परिस्थिति से बचाने के लिए उसे डॉक्टर की देखरेख में रखे, ताकि वो किसी भी बीमारी या इंफेक्शन से बचा रहे।

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नवजात बच्चे की देखरेख के लिए कुछ टिप्स

1. मां का दूध बच्चे के लिए बेस्ट होता है जो उसे बीमारियों से बचाने का काम करता है। इसलिए जन्म के बाद बच्चे को स्तनपान जरूर करवाना चाहिए।
2. बच्चे को हमेशा कवर करके रखे क्योंकि इम्यून सिस्टम कमजोर होने की वजह से वो वातावरण के मुताबिक ढालने को सक्षम नहीं होता। नए जन्मे बच्चे के शरीर का तापमाप लगभग 37°C होना चाहिए।
3. वैसे तो बच्चे का रोना कोई चिंता का कारण नहीं है लेकिन अगर बच्चा फीड के बाद या बिना बिस्तर गीला किए रोए तो उसे इग्नोर ना करें। अगर वह लगातार रोता रहे तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
4. बच्चे की हड्डियों को मजबूत बनाने के लिए बादाम तेल से उसकी मालिश करें। आप बच्चे के होने के 10 दिन उसकी मालिश कर सकते है।
5. बच्चे को कुछ देर धूप भी लगवानी चाहिए। ऐसा करने से उसकी हड्डियों को मजबूती मिलती है।
6. जन्म के 6 महीनों तक बच्चे को मां का दूध ही पिलाए। इसके बाद आप चाहे तो उसे कुछ घर पर बना कर खिला सकते हैं पर ध्यान दें उसे ऐसा कुछ न खिलाए जो पचाना मुश्किल हो। 
7. अगर बच्चा बीमार पड़ जाए तो तुरंत उसे डॉक्टर के पास ले जाए।

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