स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा है कि तपेदिक की पहचान में देरी, कलंक और गलत इलाज इस बीमारी से निपटने में सबसे बड़ी चुनौतियां हैं और इसमें कॉरपोरेट क्षेत्र अहम भूमिका निभा सकता है।
लक्षणों की अनदेखी पड़ रही मरीजों पर भारी
टीबी और फेफड़ों के स्वास्थ्य पर एसोचैम द्वारा आयोजित एक कॉर्पोरेट शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए मंत्रालय के केंद्रीय टीबी प्रकोष्ठ के डीडीजी (टीबी) डॉ राजेंद्र जोशी ने कहा कि तपेदिक इलाज से संबंधित क्षेत्र में निवेश न केवल एक सामाजिक विषय है, बल्कि कॉरपोरेट जगत को इससे अच्छा रिटर्न भी मिलेगा, क्योंकि इससे स्वास्थ्य की देखभाल संबंधी लागत कम होती है और कर्मचारियों का मनोबल भी बढ़ता है।
गलत उपचार रोग निपटने में सबसे बड़ी चुनौती
उन्होंने कहा कि रोग के लक्षण की पहचान में देरी, कलंक और गलत इलाज तपेदिक से निपटने में तीन प्रमुख चुनौतियां हैं। जोशी ने कहा कि कॉरपोरेट क्षेत्र इन तीनों चुनौतियों पर पार पाने में महती भूमिका निभा सकता है। उन्होंने कहा, ‘‘इसके अलावा, हम स्वास्थ्य संबंधी बुनियादी संरचना स्थापित करने, टीबी स्क्रीनिंग तक पहुंच आदि से संबंधित (तपेदिक) कार्यक्रमों में कॉरपोरेट क्षेत्र का सहयोग ले सकते हैं।’’
कैसे पहचानें टीबी रोग के लक्षण?
. 2 हफ्तों से ज्यादा खांसी रहना
. खांसी के साथ बलगम व खून आना
. सांस लेने में परेशानी
. सीने में तेज दर्द
. थूक का रंग बदलना
. खांसते समय दर्द महसूस
. शाम या रात के वक्त बुखार आना
. भूख कम लगना
. थकान और कमजोरी
. रात को पसीना आना
. वजन कम होना
मरीज कैसे रखें बचाव?
. माता-पिता जन्म के समय बच्चे को BCG का टीका लगवाएं। इससे बीमारी का खतरा 80% कम होता है।
. लक्षण दिखते ही तुरंत जांच करवाएं क्योंकि इलाज में देरी जानलेवा साबित हो सकती है।
. संक्रमित मरीज से दूरी बनाकर रखें। साथ ही अगर घर में किसी को टीबी है तो उसके बर्तन आदि अलग रखें।
. खान-पान का खास ख्याल रखें। स्वस्थ और स्वच्छ भोजन करें।
. संक्रमित मरीज प्लास्टिक बैग में थूके और उसमें फिनाइल डालकर डस्टबिन में डालें। प्लास्टिक में आग ना लगाएं।