
हर साल लाखों स्टूडेंट्स यूपीएससी परीक्षा देते हैं, लेकिन उनमें से कुछ ही इसे पास करने में सफल हो पाते हैं। सपना सबका होता है कि वे भारत में सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक इस परीक्षा को पास कर पाएं। इस सपने को पूरा करने के लिए हजारों छात्र जी जान लगा देते हैं, घंटों पढ़ाई करते हैं। वहीं आज एक ऐसी कहानी हम आपको बताने जा रहे हैं जो आपको रोमांच से भर देगी। 2020 बैच की आईएएस अधिकारी दिव्या मिश्रा ने हाल ही में दिए एक इंटरव्यू में खुलासा किया कि कैसे उन्होनें सिविल सर्विस एग्जाम में क्रैक करने की ठानी।उत्तर प्रदेश के कानपुर में स्थित नौबस्ता के हनुमंत विहार की रहने वाली दिव्या मिश्रा के पिता दिनेश मिश्रा नवोदय विद्यालय में प्रिंसिपल हैं। उनकी मां मंजू मिश्रा एक होममेकर हैं। दिव्या के छोटे भाई दिव्यांशु मिश्रा सेना में लेफ्टिनेंट के पद पर तैनात हैं। दिव्या ने नवोदय विद्यालय, उन्नाव से अपनी पढ़ाई पूरी की है।

भाई आर्मी में गया, उरी अटैक दुआ
आईएएस दिव्या ने एक इंटरव्यू में बताया, मेरे भाई को भारतीय सेना के लिए चुना गया था। अब उसके पास लेफ्टिनेंट का पद है। मेरे परिवार में कोई रक्षा बलों में शामिल नहीं हुआ। भाई के सेलेक्शन के बाद, एक अलग एक्सपीरिएंस था। इस बीच, उरी का हमला हुआ। इसने मुझमें नई भावनाओं को जगाया और मुझे सिविल सेवा को आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित किया। क्योंकि मैं भी आज के मुताबिक, अपने अनोखे तरीके से देश की सेवा करना चाहती थीं।

जब 4 नंबर से हुई फेल
दिव्या को शुरुआत में कई बार यूपीएससी की परीक्षा में फेल होना पड़ा। उसने यूपीएससी के लिए पढ़ाई शुरु की, हालांकि वह केवल 4 नंबर के चलते परीक्षा पास नहीं कर पाई। अपने दृढ़ संकल्प के साथ, उन्होनें अपने दूसरे अटेंप्ट पास की, लेकिन कम रैंक के कारण उनका आईएएस अधिकारी बनने का सपना पूरा नहीं हो पाया।

कैसे की दिव्या ने यूपीएससी की तैयार
दिव्या का कहना है कि पीएचडी के साथ-साथ यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी की थी। दिव्या ने दर्शनशास्त्र विषय चुना था। रोजाना 6 से 7 घंटे तक पढ़ाई करती थी। उनका कहना है कि 24 घंटे में से सिर्फ 6-7 घंटे मन लगाकर पढ़ने से यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा पास की जा सकती है। जहां वो अपने पहले प्रयास में 4 नंबर से चूक गई थीं, वहीं दूसरे प्रयास पर वो 312 वी रैंक और तीसरे प्रयास में 28 वीं रैंक पाकर होम कैडर यूपी में आईएएसी बन गई।