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भारत में बच्चों को जन्म से मिलते हैं ये कानूनी अधिकार, लाखों बच्चे आज भी अंजान

  • Edited By Anjali Rajput,
  • Updated: 12 Jun, 2021 04:17 PM
भारत में बच्चों को जन्म से मिलते हैं ये कानूनी अधिकार, लाखों बच्चे आज भी अंजान

बाल श्रम यानि बाल मजदूरी को रोकने के लिए 12 जून को दुनियाभर में बाल श्रम निषेध दिवस (World Day Against Child Labour) मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का मकसद छोटे बच्चों को मजदूरी के काम से हटाकर एक बेहतर भविष्य देना है, जोकि उनका हक है। मगर, देश में ऐसे कितने ही बच्चे हैं जो अपने हट और अधिकारों ने ना सिर्फ वंचित बल्कि अनजान भी हैं।

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दुनियाभर में बच्‍चों की हैल्थ, स्टडी व उनकी उचित देखभाल के लिए यूनिसेफ काम करता है। वहीं बाल मजदूरी को रोकने के लिए सरकार द्वारा कई कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं लेकिन यह पूरी तरह खत्म ना हो सका।

लाखों बच्चे आज भी अपने अधिकारों से अंजान

इसका एक कारण यह भी है कि लाखों बच्चे अपने अधिकारों से रूबरू ही नहीं है। भारत में भी बच्चों को जन्म लेते ही उन्हें कुछ राजनीतिक, समाजिक, आर्थिक व शैक्षणिक अधिकार मिलते हैं। यहां तक कि बाल मजदूरी रोकने के लिए देश में कानून भी हैं, जिसे बाल श्रम कानून 1986 कहा जाता है। मगर, बच्चे इनसे अंजान बाल मजदूरी का बोझ अपने कंधों पर लिए घूम रहे हैं।

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जन्म से ही मिलते है बच्चों को ये अधिकार

1. बाल श्रम कानून 1986 के अनुसार, 14 साल के कम उम्र के बच्चों किसी भी दुकान, दफतर या ऐसा कोई काम नहीं कर सकते, जो उनकी सेहत पर असर डाले। 15 से 18 साल के बच्चे भी फिटनेस सर्टिफिकेट के साथ ही फैक्टरी या कहीं और नौकरी कर सकते हैं, वो भी सिर्फ साढ़े चार घंटे। इसके अलावा इस कानून के तहद बच्चे रात के समय भी काम नहीं कर सकते।

2. भारतीय संविधान का अनुच्छेद 15 (3) में बच्चों के राज्य सशक्तिकरण का अधिकार देता है।

3. धारा 24 में किसी भी फैक्टरी या खदान 14 साल से कम उम्र के बच्चे काम नहीं कर सकते।

4. धारा 39 F के तहद, बच्चों को स्वतंत्र व सम्मानजनक तरीके से विकास के अवसर मिलने चाहिए। बचपन से युवावस्था तक उन्हें सभी नैतिक-भौतिक दुरुपयोग से बचाया जाएगा।

5. अनुच्छेद 21(A) के अनुसार 6 से 14 वर्ष तक बच्चों को अनिवार्य मुफ्त शिक्षा दी जाएगी।

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बच्चों की सेहत को लेकर भी कानून

इसके अलावा बच्चों की सेहत को लेकर भी देश में कई कानून है जैसे दिव्यांग बच्चे के लिए टीके, खास सुविधा, साफ पानी, पौष्टिक आहार, स्वस्थ वातावरण होना जरूरी है।

पढ़ाई के लिए प्रवाधान

सभी सहायता प्राप्त प्राइवेट स्कूलों में उपलब्ध सीटों की संख्या में से 25% सीटें आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों के लिए रिजर्व होनी चाहिए।

बच्चों को हर नशीली दवा, मादक पदार्थ से बचाना राज्य की जिम्मेदारी है। इसके अलावा बच्चे को बेचना, अपहरण करना या जबरन काम करवाना भी कानूनी अपराध है। यह राज्य की जिम्मेदारी है कि वो बच्चों को ऐसी स्थिति से बचाए।

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