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जोड़ों में दर्द व सूजन को ना करें अनदेखा, इस बीमारी का हो सकता है संकेत

  • Edited By Anjali Rajput,
  • Updated: 04 Mar, 2021 09:35 AM
जोड़ों में दर्द व सूजन को ना करें अनदेखा, इस बीमारी का हो सकता है संकेत

जोड़ों में दर्द और सूजन की तकलीफ लगातार रहती है? अक्सर लोग इसे गठिया, आर्थराइटिस समझ लेते हैं, जबकि यह बर्साइटिस या बर्सिटिस रोग का संकेत भी हो सकता है। यह एक सामान्य स्थिति है जिसके कारण मांसपेशियों और हड्डियों में सूजन व दर्द होता है। ज्यादातर यह समस्या एथलीट, बढ़इ, माली, संगीतकार में देखने को मिलती है। चलिए आपको बताते हैं कि क्या है यह समस्या और कैसे किया जाए इसका इलाज...

क्या है बर्साइटिस रोग?

बर्साइटिस, बर्सा की सूजन या जलन है, जो मांसपेशियों, हड्डियों, टेंडन और त्वचा के ऊतकों के बीच मौजूद लूब्रिकेटिंग तरल पदार्थ से भरी एक थैली होती है। यह रगड़, घर्षण और जलन को कम करती है।

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कहां होती है अधिक समस्या

बर्साइटिस पूरे शरीर में हो सकता है लेकिन घुटनें, कंधे, कोहनी, कलाई, कूल्हों, और टखनों में बर्साइटिस सबसे आम होता है। घुटने के बर्साइटिस को 'क्लर्जीमैन्स नी' या 'हाउसमेड्स नी' भी कहा जाता है जबकि यह कोहनी को प्रभावित करे तो उसे 'टेनिस एल्बो' कहते हैं।

बर्साइटिस के लक्षण

. दर्द जो हिलाने-डुलाने या दबाव से बढ़ता है
. बिना हिले-डुले भी संवेदना महसूस होना
. सूजन
. जोड़ों का हिलना-डुलना कम हो जाना

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बर्साइटिस क्यों होता है?

. अगर समय रहते इसका इलाज ना करवाया जाए तो यह इंफेक्शन, गठिया, गाउट, थायरॉयड के कारण भी बर्सिटिस की संभावना बढ़ जाती है।
. जोड़ों का अधिक इस्तेमाल या चोट लगने के कारण बर्साइटिस हो जाता है। इसके अलावा लंबे समय तक किसी सख्त सतह पर कोहनी या घुटने टिकाए रखने से भी बर्साइटिस शुरू हो जाता है।

बर्साइटिस का इलाज कैसे होता है?

. इंफेक्शन के कारण होने वाले बर्साइटिस के लिए डॉक्टर 7 दिनों का एंटीबायोटिक दवाओं का कोर्स करवाते हैं।
. सूजन ज्यादा हो तो उसे कम करने के लिए जोड़ों में स्टेरॉयड इंजेक्शन दिया जाता है लेकिन ऐसा संक्रमण के कारण हो तो इंजेक्शन नहीं दिया जाएगा।
.  बर्साइटिस गंभीर या बार-बार हो रहा है तो डॉक्टर सर्जरी सलाह देते हैं। गंभीर चोटों के लिए आप बर्फ से सिंकाई कर सकते हैं।

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बचाव के लिए याद रखें ये बातें...

कुछ बातों का ध्यान रखकर आप इस समस्या से अपना बचाव कर सकते हैं जैसे-

. नियमित रूप से व्यायाम, योग करें लेकिन ध्यान रखें कि शरीर पर अधिक प्रैशर ना डालें। नई गतिविधियों को धीरे-धीरे शुरू करें।
. एक्सरसाइज के दौरान ब्रेक भी लेते रहें। लंबी अवधि के लिए एक ही जगह पर ना बैठें।
. अपनी डाइट में हरी सब्जियां, कैल्शियम फूड्स, मौसमी फल, सुखे मेवे, सीड्स, जूस, दूध, दही, पनीर, डेयरी प्रोडक्ट्स, जैतून का तेल, जूस आदि लेते रहें।

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