![देवी- देवताओं को भोग लगाते हुए करें इन बर्तनों का इस्तेमाल, वरना नहीं मिलेगा पूजा का फल](https://static.punjabkesari.in/multimedia/2023_12image_17_04_0700523181495630-puja-vidhi-ll.jpg)
हिंदू धर्म ग्रंथों में भगवान की पूजा- पाठ को लेकर कई सारे नियम बनाए गए हैं। पूजा- पाठ करते हुए भगवान को भोग लगाने की प्रथा है। इसके बिना पूजा को अधूरा माना जाता है। आइए आज हम आपको बताते हैं देवी- देवताओं को भोग लगाते हुए किस मंत्र का जाप करना चाहिए और अन्य किन नियमों का पालन करना चाहिए।
बर्तन
भोग लगाने के लिए मिट्टी, सोने, चांदी, स्टील के बर्तन का इस्तेमाल करना चाहिए। लोहे और एल्यूमीनियम के बर्तनों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
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भोग लगाते हुए इन मंत्रों का करें जाप
त्वदीयं वस्तु गोविन्द तुभ्यमेव समर्पये।
गृहाण सम्मुखो भूत्वा प्रसीद परमेश्वर।।
मंत्र का जाप
प्रभु को भोग लगाते हुए श्रद्धा पूर्वक और सही उच्चारण के साथ इस मंत्र का जाप करें।
मंत्र का अर्थ
हे ईश्वर! मेरे पास जो भी है, आपका दिया हुआ है। आपका दिया हुआ आपको समर्पितव कर रहा हूं। कृपया इसे ग्रहण करें और मुझ पर प्रसन्न हों।
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भगवान को भोग लगाते हुए इन बातों का भी रखें ध्यान
भगवान को लगाएं सात्विक भोजन का भोग
पूजा में देवी- देवताओं को हमेशा सात्विक चीजों का ही भोग लगाना चाहिए। ध्यान रखें कि लहसुन- प्याज का इस्तेमाल भोग में नहीं होना चाहिए।
तुरंत ना हटाएं भोग
भगवान को भोग लगाने के बाद भोग की थाली पूजा के स्थान पर थोड़ी देर रखी रहने दें, तुरंत भोग को नहीं हटाना चाहिए।
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नोट- ये जानकारी सिर्फ मान्यताओं, धर्मग्रंथों और विभिन्न माध्यमों पर आधारित है। किसी भी जानकारी को मानने से पहले एक्सपर्ट से सलाह ले लें।