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Bhadrapad Amavasya पर ऐसे करें पूजा, मिलेगा पितरों का आशीर्वाद

  • Edited By Charanjeet Kaur,
  • Updated: 13 Sep, 2023 06:27 PM
Bhadrapad Amavasya पर ऐसे करें पूजा, मिलेगा पितरों का आशीर्वाद

हिंदू धर्म में भाद्रपद अमावस्या को बेहद खास माना जाता है। भादो महीने में पड़ने वाली अमावस्या को कुशग्रहणी अमावस्या, कुशोत्पतिनी अमावस्या, पिठोरी अमावस्या, पिठोरी अमावस्या, पिठोरी अमावस या भाद्रपद अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन गंगा स्नान करके दान करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है।  इस बारे भाद्रपद 14 सिंतबर को है, आइए आपको बताते हैं इसका शुभ मुहूर्त , पूजा की विधि...

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कब है भादो अमावस्या

भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या 14 सितंबर यानी गुरुवार को सुबह 4 बजकर 48 मिनट से शुरु होगी और अगले दिन 15 सितंबर , शुक्रवार को सुबह 7 बजकर 9 मिनट पर समाप्त होगी। उदया तिथि मान्य होने के कारण भाद्रपद अमावस्या 14 सितंबर 2023, गुरुवार को मनाआ जाएगी।

भाद्रपद अमावस्या पूजन का प्रदोष व्रत

अमावस्या तिथि के दिन प्रदोष में पूजा- अर्चना करना अत्यंत शुभ माना जाता है। पिठोरी व्रत प्रदोष मुहूर्त 14 सितंबर को शाम 6 बजकर 28 मिनट से रात 8 बजकर 47 मिनट तक रहेगा। शुभ मुहूर्त की अवधि 02 घंटे 20 मिनट की है।

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भाद्रपद अमावस्या के दिन क्या करना चाहिए

शास्त्रों के अनुसार अमावस तिथि के दिन पवित्र नदी में स्नान करने, पिंडदान और तर्पण आदि करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही पितृदोष से मुक्ति मिलती है। 

भाद्रपद अमावस्या पूजन विधि

- अमावस्या के दिन सूर्योदय से पूर्व स्नान करने के बाद सूर्य को अर्घ्य दें।

- भोलेनाथ का गंगाजल से अभिषेक करें।

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- इस दिन दोपहर के समय काला तिल, कुश और फूल डालकर पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण करें।


 

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