मान्यता है कि शिव जी बहुत जल्दी ही अपने भक्तों से प्रसन्न हो जाते हैं और उनकी हर मुराद पूरी कर देते हैं। इस वजह से उन्हें भोले कहा जाता है। लेकिन पौराणिक कथाओं के हिसाब से उनके इसी भोले स्वभाव का फायदा कई बारी असुरों ने उठाया। असुरों ने कई बारी उनसे मनचाहा वरदान पाकर उसका गलत इस्तेमाल किया है। एक बार शिव जी ऐसे ही अपने दिए आशीर्वाद में फंस गए थे, तब भगवान विष्णु को स्त्री का रूप धारण करके उन्हें बचाने आना पड़ा था।
भस्मासुर को आशीर्वाद देना पड़ा था भारी
भस्मासुर शिव जी के भक्त थे। उन्होंने तपस्या करके शिव जी को प्रसन्न कर लिया। जब भोलेनाथ ने उन्हें वरदान मांगने को कहा था भस्मासुर ने कहा कि वो चाहते हैं कि उसे ऐसा वरदान मिले कि वह जिन पर हाथ रखे वो भस्म हो जाए। शंकर जी ने उसे ये वरदान दे दिया। वरदान पाकर वो बहुत ज्यादा खुश हुए और वहां से जाने ही वाले थी कि रास्ते में माता पार्वती उसे नजर आ गईं। भस्मासुर उनकी खूबसूरती का देखकर इतना मोहित हो गया कि वह उन्हें पाने को ललायित हो गया और उनका पीछा करने लगा। जब उन्हें पता चला कि वो भगवान शिव की धर्मपत्नी हैं, तो उन्होंने भोले के वरदान को उनके ऊपर ही इस्तेमाल करने की ठान ली।
स्त्री का रूप धारण कर भगवान विष्णु ने की थी भोलेनाथ के प्राणों की रक्षा
भस्मासुर की इस मंसा को भगवान विष्णु भांप गए और उन्होंने फिर एक बहुत ही सुंदर स्त्री का रूप धारण किया। भस्मासुर उसे देखकर मोहित हो गए। स्त्री रूप में भगवान विष्णु ने भस्मासुर को अपने साथ नाचने को विवश कर दिया। नृत्य करते हुए भगवान विष्णु ने भस्मासुर का हाथ उनके सिर पर रखवा दिया। सिर पर हाथ रखते ही वो भस्म हो गया। इस तरह से भगवान विष्णु ने भोलेनाथ के प्राणों की रक्षा की थी।