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MapMyIndia की सफलता की कहानी, Map स्टार्टअप के IPO के बाद पति-पत्नी की संपत्ति हुई 586 मिलियन डॉलर

  • Edited By Vandana,
  • Updated: 24 Dec, 2021 06:33 PM
MapMyIndia की सफलता की कहानी, Map स्टार्टअप के IPO के बाद पति-पत्नी की संपत्ति हुई 586 मिलियन डॉलर

कहते हैं कि अगर आप कड़ी मेहनत और पूरी लग्न से अपना काम करते हैं तो सफलता देर से ही सही आपके पैरे जरूर चूमंती हैं। कुछ ऐसा ही हुआ  MapmyIndia के इस जोड़ी के साथ। आज से करीब दो दशक पहले, राकेश और रश्मि वर्मा ने भारत का एक डिजिटल नक्शा बनाने का फैसला किया था और उस समय यह सचमुच में एक नया क्षेत्र था और नए क्षेत्र में ही इस जोड़ी ने अपनी शुरूआत की थी हालांकि पहले पहले मैपिंग डेटा को लोग नहीं समझते थे। उस समय गूगल मैप्स से पहले ही वर्मा ने पैदल चलकर भारत के बड़े शहरों की सड़कों और स्थलों का चार्ट बनाया था और अब इस कपल को अपने व्यवसाय में शानदार सफलता मिली है। 

दरअसल, MapMyIndia का स्टॉक लगभग 35% बढ़कर 1,393.65 भारतीय रुपये ($18.4) हो गया, जिससे युगल की कुल संपत्ति लगभग 586 मिलियन डॉलर तक पहुंच गई है। भारत की डिजिटल मानचित्र और भौगोलिक डेटा बेचने वाली कंपनी के लिए यह एक उपयुक्त शुरुआत थी।
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इस महीने की शुरुआत में, कंपनी ने बताया कि उसे अपनी प्रारंभिक सार्वजनिक पेशकश में शेयरों की संख्या के 150 गुना से अधिक के लिए बोलियां प्राप्त हुई थीं। Apple Inc. और Amazon.com Inc. इनमें वे लोग भी हैं जिन्होंने कंपनी का सॉफ्टवेयर खरीदा है। पति-पत्नी की टीम, जिनके पास आईपीओ के बाद कंपनी का लगभग 54% हिस्सा है। राकेश ने एक टेलीफोन साक्षात्कार में कहा, “जब हमने शुरुआत की, तो मैपिंग डेटा को कोई नहीं समझा।” “अब, 25 साल बाद, मैपिंग डेटा व्यवसायों, उद्योगों, राज्य के स्वामित्व वाली कंपनियों और मंत्रालयों में व्याप्त है।” संस्थापक युगल के बेटे ने कहा, "हमारे क्षेत्र में विकास के लिए बहुत बड़ी गुंजाइश है और हम बाजार को लेकर बहुत उत्साहित हैं। हमें बहुत उम्मीद है कि सार्वजनिक बाजार में इस प्रविष्टि से हमारी प्रोफ़ाइल बढ़ेगी।"

MapmyIndia, जिसे औपचारिक रूप से CE Info Systems Ltd के नाम से जाना जाता है,उनके द्वारा शुरू हुई एक मजबूत बाजार की शुरुआत ने हाल ही में कई ऊंचाइयों को चिह्नित किया है।।
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बता दें कि 71 वर्षीय राकेश और 65 वर्षीय रश्मि ने 1990 के दशक के मध्य में अपनी कंपनी शुरू की। उस समय व्यवसायों को मैपिंग डेटा खरीदने में बहुत कम दिलचस्पी थी और उस समय, भारत में सार्वजनिक इंटरनेट का उपयोग शुरू नहीं किया गया था। राकेश ने ऑटोमोटिव से लेकर राज्य के स्वामित्व वाली कंपनियों तक के क्षेत्रों में विस्तार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने विदेश से इस हुनर को सीखा। 1970 के दशक के अंत में उन्होंने अमेरिका से इंजीनियरिंग की डिग्री पूरी की और एक सफल कॉर्पोरेट करियर शुरू किया वहीं रश्मि ने इंटरनेशनल बिजनेस मशीन कॉर्प में कंप्यूटर डेटाबेस बनाया जब यह जोड़ी भारत वापिस आई तो उन्होंने उन्होंने डिजिटल मैपिंग के जरिए अपनी एक अलग पहचान बनाई।

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