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बुजुर्गों को भुलक्कड़ बना रहा है डिमेंशिया, नजरअंदाज करने के बजाय उनका रखें खास ख्याल

  • Edited By vasudha,
  • Updated: 11 Mar, 2023 12:30 PM
बुजुर्गों को भुलक्कड़ बना रहा है डिमेंशिया, नजरअंदाज करने के बजाय उनका रखें खास ख्याल

भारत में 60 साल या इससे अधिक उम्र के एक करोड़ से अधिक बुजुर्गों को डिमेंशिया हो सकता है और यह दर तुलनात्मक रूप से अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देशों के बराबर हो सकती है। यह दावा अपने तरह के पहले अध्ययन में किया गया है। डिमेंशिया से व्यक्ति की मानसिक स्थिति प्रभावित होती है जैसे स्मृतिलोप, सोचने, विचार करने और फैसले लेने की क्षमता को नुकसान होना। इससे व्यक्ति दैनिक कार्यों को भी करने में अक्षम हो जाता है। 


2050 तक बिगड़ सकते हैं हालात

जर्नल नेचर पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी कलेक्शन में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक वर्ष 2050 तक भारत की कुल आबादी में 60 साल से अधिक उम्र वालों की हिस्सेदारी 19.1 प्रतिशत होगी। अध्ययन में कहा गया है कि इस बुजुर्ग होती आबादी में नाटकीय तरीके से डिमेंशिया के मामले बढेंगे, जिसे देश में गंभीरता से नहीं लिया जाता है। जर्नल न्यूरोएपिडिमियोलॉजी में प्रकाशित नवीनतम अनुसंधान में 31,477 बुजुर्गों के आंकड़ों का विश्लेषण करने के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) का इस्तेमाल किया गया है। 

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बुजुर्गों पर दें खास ध्यान

अनुसंधानकर्ताओं की अंतरराष्ट्रीय टीम ने पाया कि भारत के बुजुर्गों में डिमेंशिया की दर 8.44 प्रतिशत हो सकती है जो देश के करीब 1.008 करोड़ बुजुर्गों के बराबर है। अनुसंधानकर्ताओं ने बताया कि यह दर पश्चिमी देशों के लगभग बराबर है क्योंकि अमेरिका में डिमेंशिया की दर 8.8 प्रतिशत है जबकि ब्रिटेन में नौ प्रतिशत और जर्मनी-फ्रांस में 8.5 से 9 प्रतिशत के बीच है। 


क्या है डिमेंशिया

यह  कोई बीमारी नही है, बल्कि दिमाग या मस्तिष्क को नुकसान पहुंचने के बाद व्यक्ति के व्यवहार में आए बदलाव से पैदा होने लक्षणों का नाम है। डिमेंशिया का मरीज शारीरिक रूप से नहीं बल्कि मानसिक रूप से कमजोर हो जाता है। यहां तक कि दैनिक कार्यों को पूरा करने के लिए भी उसे दूसरों की मदद लेनी पड़ती है। लेकिन अपनी आदतों को बदलकर हम दिल की सेहत में सुधार कर सकते हैं और डिमेंशिया के खतरे को कम कर सकते हैं। 

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डिमेंशिया के लक्षण 

-किसी बात को बार-बार दोहराते रहना।
-सामाजिक तौर-तरीके भूल जाना, अजीब बातें करना।
-असभ्य भाषा इस्तेमाल करना।
-किसी काम को बहुत कोशिश के बाद भी याद न रख पाना। 
-सोचने-समझने की शक्ति कम हो जाना।
-बिना कारण ही बौखला जाना, चिल्लाना, रोना।
-छोटी-छोटी मुश्किलों को हल करने में समस्या।
-किसी तस्वीर को देखकर समझने या बताने में समस्या। 
-चीजों को गलत जगह पर रखना।
-किसी काम को शुरू करने के बाद भूल जाना कि क्या करने वाले थे। 

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इस तरह रखें अपनों का ख्याल

वातावरण बदलें

मरीज के चारों तरफ के वातावरण में बदलाव करना भी मरीज के दिमागी समस्या और व्यवहार को सुधारने में मदद करता है।

बीमारी बढ़ने ना दें

हृदय संबंधी रोग होने पर ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल, शुगर और वसा के स्तर को बढ़ने न दें।

 सक्रिय रहें

 शारीरिक और मानसिक रूप से सक्रिय रहें। अपने ब्रेन को यूज करें, नई चीजें सीखकर मानसिक रूप से सक्रिय रहें।

समाज के साथ जोड़े

डिमेंशिया से बचने के लिए जरूरी है कि घर के बुजुर्गों को समाज में लोगों से जुड़े रखें।

खानपान में करें सुधार

खानपान में सैचुरेटेड फैट की मात्रा कम करिए। फल-सब्जी विशेष रूप से हरी पत्तेदार सब्जियां अपने आहार में शामिल कीजिए।
 

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