कोरोना काल में जहां गरीब लोगों की अजीविका छिन जाने से बेरोजगारी के मामले बढ़े नहीं यह महामारी औरतों के लिए भी मुसीबत बनके आई है। दरअसल, लॉकडाउन के कारण महिलाओं को गर्भनिरोधक गलियां मिलने में काफी दिक्कत का सामना करना पड़ा , जिसके चलते अनचाही प्रेगनेंसी के मामले काफी बढ़ गए हैं।
देश में बढ़े 13 लाख अनचाही प्रेगनेंसी के मामले
रिसर्च के मुताबिक, देश में करीब 13 लाख अनचाही प्रेगनेंसी के मामले सामने आए हैं। यही नहीं, साल शुरुआती महीनों में 9 लाख अनवांटेड प्रेग्नेंसी और 15 लाख असुरक्षित गर्भपात के मामले सामने आए थे। यही नहीं, प्रेगनेंसी के 3,100 मामले ऐसे थे, जिसमें महिला की मौत हो चुकी थी। हालांकि 9 लाख 20 हजार महिलाएं ऐसी रहीं, जिन्हें सुरक्षित गर्भपात की सुविधा मिली।
13 लाख महिलाएं अनचाही प्रेग्नेंसी से जूझीं
WHO की रिपोर्ट कहती है कि हर साल करीब 12% महिलाएं असुरक्षित गर्भपात के कारण अपनी जान गवां बैठती हैं। सिर्फ 37 देश ही ऐसे हैं, जहां महिलाओं को सुरक्षित अबॉर्शन की सुविधा दी जाती है। हालांकि एक्सपर्ट के मुताबिक, लंबे समय तक गर्भनिरोधक पिल्स का सेवन सेहत के लिए हानिकारक होता है। वहीं उनके मुताबिक, अबॉर्शन भी औरतों की सेहत के लिए सही नहीं है।
महिलाओं को मिलनी चाहिए अबॉर्शन और कंट्रासेप्शन की सुविधा
मैरी स्टॉप्स इंटरनेशनल के सर्वे के मुताबिक, कोरोना काल से पहले 81% महिलाओं को सुरक्षित अबॉर्शन की सुविधा दी जाती थी जो अब घटकर 21% हो चुकी है। देश की महिलाओं का कहना है कि महामारी के कारण उन्हें यह सुविधा नहीं मिल पाए। वहीं 10 में से एक महिला को 5 हफ्ते इंतजार करना पड़ा। मैरी स्टॉप्स इंटरनेशनल का कहना है कि कोरोना काल के बावजूद भी महिलाओं को अबॉर्शन और कंट्रासेप्शन जैसी सुविधाएं हर हाल में मिलनी चाहिए।
भारत में पैदा होंगे सबसे ज्यादा बच्चे
UNICEF के सर्वे के मुताबिक, विश्व में करीब 4.7 करोड़ महिलाएं अनवॉन्टेड प्रेग्नेंसी की शिकार हुई हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2020 के अंत तक भारत में 2.1 करोड़ बच्चे पैदा हो सकते हैं। वहीं चीन इस मामले में दूसरे नंबर पर रहेगा। वहीं, रिपोर्ट के मुताबिक, नाइजीरिया (60.4 लाख), पाकिस्तान (50 लाख) और इंडोनेशिया (40 लाख) बच्चे पैदा हो सकते है। इस लिस्ट में अमेरिका (30 लाख) छठे स्थान पर रहेगा।
कोरोनाकाल में मां और नवजात के लिए चुनौतियां
1. कर्फ्यू और लॉकडाउन के कारण महिलाओं को दवाईयां, उपकरण और हेल्थ वर्करों की कमी रहेगी।
2. महामारी के कारण महिलाएं खुद भी हॉस्पिटल जाने से कतरा रही हैं, जिसके कारण उनके ट्रीटमेंट में समस्याएं आ सकती हैं।
3. रिसर्च के अनुसार, स्वास्थ्य स्वाओं पर कोरोना का असर सबसे ज्यादा रहा है, जिससे जच्चा और बच्चा की जिंदगी पर खतरा है।
पहले ही की जाए तैयारी: यूनिसेफ
यूनिसेफ की रिपोर्ट के मुताबिक, हर साल करीब 28 लाख गर्भवती महिलाएं और शिशु की किसी ना किसी कारण मौत हो जाती है। ऐसे में हेल्थ संस्थाओं को पहले से ही दवाइयों, उपकरणों का प्रबंध करना चाहिए, ताकि जच्चा और बच्चा की जान बचाई जा सके।