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Balaram Jayanti: बलराम-रेवती की अनोखी प्रेम कहानी, हल से छोटा किया था 'राजकुमारी' का कद

  • Edited By Vandana,
  • Updated: 24 Aug, 2024 05:11 PM
Balaram Jayanti: बलराम-रेवती की अनोखी प्रेम कहानी, हल से छोटा किया था 'राजकुमारी' का कद

नारी डेस्कः इस ब्रह्मांड में कई प्रेम कहानियां मौजूद हैं। कुछ प्रेम कहानियां तो ऐसी हैं जो पूरी तरह से विचित्र हैं जिन पर यकीन करना आज के युग में थोड़ा मुश्किल होता है लेकिन मान्यताओं के अनुसार यह सत्य है। चलिए आज बलराम जयंती के पावन दिन पर आज श्री कृष्ण के बड़े भाई बलराम और रेवती की अनोखी प्रेमकहानी आपको बताते हैं। कहा जाता है कि बलराम जी ने अपने हल से रेवती का कद छोटा किया था। 

पौराणिक कथाओं के अनुसार, ऐसी ही प्रेम कहानी थी, श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम की जिनका विवाह रेवती से हुआ था। रेवती महाराज रेवतक की पुत्री थीं और उनका जन्म दिव्य अग्नि से हुआ था। रेवती न केवल अत्यंत सुंदर थीं, बल्कि शील गुणों से संपन्न भी थी। जब वह विवाह योग्य हुईं, तो उन्होंने निर्णय किया कि वह विवाह केवल उसी व्यक्ति से करेंगी जो दुनिया में सबसे बलशाली होगा। इस इच्छा को पूरा करने के लिए राजा रेवतक ने सबसे शक्तिशाली व्यक्ति की तलाश शुरू की लेकिन उन्हें धरती पर कोई भी ऐसा व्यक्ति नहीं मिला।

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इसी चिंता को लेकर वह ब्रह्मलोक पहुंचे और ब्रह्मलोक में उस समय वेदों का गान चल रहा था इसलिए वह भी वहां रूक गए। समय बीतता गया और जब वेदों का पाठ खत्म हुआ तो ब्रह्माजी के सामने राजा ने अपनी बात कही लेकिन तब ब्रह्माजी ने कहा, 'हे राजन् आप जब से ब्रह्मलोक में हैं। तब से तो कई युग बीत चुके हैं। आपके सगे-संबंधियों का भी अंत हो चुका है। इस समय पृथ्वी पर द्वापरयुग चल रहा है। वहां स्वयं साक्षात् विष्णु भगवान ने श्रीकृष्ण के रूप में अवतार लिया है और उनके भाई बलराम भी हैं जो शेषनाग के अवतार हैं। राजन, आपको बलराम से सुयोग्य वर रेवती के लिए पृथ्वी पर मिलना मुश्किल हैं। अतः रेवती का विवाह बलराम से कीजिए।'

राजा रेवत ब्रह्माजी की आज्ञा का पालन करते हुए बलराम जी से मिले, लेकिन रेवत और उनकी पुत्री रेवती के शरीर का आकार सतयुग के मानव की तरह 21 हाथ का था। ऐसे में बलराम ने अपने हल को रेवती के सिर पर रख दिया और रेवती के शरीर का आकार, द्वापरयुग के उस समय मौजूद मनुष्य की तरह यानी 7 हाथ का हो गया। इसके बाद, बलराम और रेवती का विवाह सम्पन्न हुआ।

पौराणिक तथ्यों के अनुसार, सतयुग में मानव की ऊंचाई 21 हाथ, त्रेतायुग में 14 हाथ, द्वापरयुग में 7 हाथ और कलयुग में मनुष्य के शरीर का आकार साढ़े तीन हाथ यानी 6 फीट है। 
।।जय श्री कृष्णा।।

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