जलमार्ग पर्यटन को बढ़ाने के लिए वाराणसी से असम के डिब्रूगढ़ जिले के बोगीबील तक क्रूज सेवा की शुरुआत होने जा रही है। यह सेवाएं अगले साल जनवरी से शुरु होगी। यह दुनिया का सबसे बड़ा क्रूज होगा जो सिर्फ 50 दिनों में ही 40,000 किलोमीटर तक का सफर तय कर पाएगा। क्रूज 10 जनवरी को वाराणसी के लिए रवाना होगा। यह कोलकाता और बांग्लादेश के ढाका से होते हुए 1 मार्च को असम के डिब्रूगढ़ जिले के बोगीबील में पहुंचेगा। गौरतलब है कि बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग के मंत्री सर्बानंद सोनेवाल नेकहा है कि गंगा विलास क्रूज अपने 50 दिनों की सबसे ज्यादा लंबी यात्रा में वाराणसी से डिब्रूगढ़ तक की 27 नदियों को कवर करेगा।
इन जगहों को कवर करेगा क्रूज
यह क्रूज विश्व धरोहर स्थलों के साथ 50 से ज्यादा पर्यटक स्थलों पर भी जाएगा। दुनिया में किसी रिवर क्रूज द्वारा की जाने वाली यह सबसे बड़ी नदी यात्रा होगी। सोनेवाल ने बताया कि गंगा विलास क्रूज भारत और बांग्लादेश दोनों को दुनिया की नदी क्रूज मानचित्र पर भी बहुत ही अहम स्थान दिलवाएगा।
कूर्ज सर्विस को बढ़ावा देना है प्राथमिकता
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि - क्रूज सेवाओं के साथ रिवर शिपिंग को बढ़ावा देना ही सरकार की प्राथमिकता में शामिल है। आगे उन्होंने कहा कि रिवर शिपिंग के क्षेत्र में बहुत ही संभावनाएं हैं और सरकार इस पर काम कर भी रही है। नदियों पर यात्री यातायात बढ़ावा देने के साथ अक्रूज सेवाएं आने वाले पर्यटनों के लिए भी बहुत ही फायदेमंद होगी।
इस रुट से जाएगा क्रूज
गंगा विलास क्रूज वाराणसी से यात्रा शुरु करेगा। इसके बाद बक्सर, रामनगर, गाजीपुर से गुजरते हुए 8वें दिन पटना में पहुंच जाएगा। पटना से यह क्रूज 20वें दिन में कोलकाता पहुंचेगा। इसके बाद अगले दिन बांग्लादेश की सीमा में प्रवेश करेगा। 15 दिन के लिए क्रूज बांग्लादेश की जलसीमा में रहेगा और इसके बाद कोलकता आएगा। कोलकाता से जहाज बोगीबील डिब्रूगढ़ में पहुंचेगा।
पीपीपी(PPP) मॉडल पर चलेगा क्रूज
वाराणसी डिब्रूगढ़ क्रूज को पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप मॉडल पर चलाया जाएगा। इसके लिए भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण(IWAI), अंतरा लक्जरी रिवर क्रूज और जेएम बक्सी रिवर क्रूज ने मेमोरेंडम ऑप अंडरस्टैंडिंग पर साइन भी किए हैं। क्रूज की टिकट की कीमत भी इसे चलाने वाली कंपनी ही तय करेगी। केंद्र सरकार की इस मामले में कोई भी दखलअंदाजी नहीं होगी।