कहते हैं कि पूरी दुनिया में मां से ज्यादा बच्चे को कोई प्यार नहीं कर सकता। बच्चे के जन्म के साथ ही वह इस कदर उससे जुड़ जाती है कि उसमें ही अपनी दुनिया ढुंढती है। लेकिन जरा सोचिए जन्म देने वाली ही अपनी संतान की दुश्मन बन जाए तो उसका रखवाला कौन होगा। आज हम आपको ऐसी एक महिला की कहानी बताने जा रहे हैं जिसने अपने तीनों बच्चों को ही निशाने पर ले लिया।
हम बात कर रहे हैं अमेरिका के मैसाचुसेट्स की रहने वाली 32 साल की लिंडसे क्लैंसी की जिसने अपने तीन मासूम बच्चों को मार डाला । अब उनके पति पैट्रिक क्लैंसी ने उस दर्दनाक घटना का जिक्र करते हुए कहा कि उन्होंने अपनी पत्नी काे माफ कर दिया है। क्लैंसी ने अपने पोस्ट में लिखा- मुझे अपने बच्चों की बहुत याद आती है, जब भी मैं आखं बंद करता हूं उन्हें ही बार- बार देखता हूं। उन्होंने अपनी पत्नी का जिक्र करते हुए कहा कि- "मैं लिंडसे को अपने जीवन में पाकर हमेशा भाग्यशाली महसूस करता था, हर किसी की जिंदगी में बुरे दिन आते हैं। जब हम में से एक खो जाता है तो दूसरे को लेकर लगाव और बढ़ जाता है। उसके जुनून ने मुझे सिखाया था कि कैसे एक बेहतर पिता बनना है।"
पैट्रिक क्लैंसी की लिंडसे पोस्टपार्टम एंग्जायटी (Postpartum anxiety) से जूझ रही है, जिसके चलते उसने कुछ दिन पहले अपने तीन बच्चों का गला घोंट दिया और फिर खुद भी खिड़की से कूद गई। इस घटना में दो बच्चों की मौके पर ही मौत हो गई। वहीं तीसरे बच्चे ने भी कुछ दिन बाद अस्पताल में दम तोड़ दिया।
घटना के तुरंत बाद दो बड़े बच्चों की अस्पताल में मौत हो गई। कई आउटलेट्स के अनुसार, प्लायमाउथ काउंटी डिस्ट्रिक्ट अटॉर्नी के कार्यालय ने एक बयान में कहा, कॉलन ने शुक्रवार को दम तोड़ दिया। पेशे से लेबर और डिलीवरी नर्स लिंडसे का भी अस्पताल में ईलाज चल रहा है। वह इस समय हत्या के दो मामले, गला घोंटने या गला दबाने के तीन मामले और हमला करने के तीन आरोपों का सामना कर रही है। लिंडसे काफी समय से मेंटल हेल्थ से जूझ रही है, माना जा रहा है कि इसी के चलते उन्होंने यह कदम उठाया है।
क्या होता है पोस्टपार्टम डिप्रेशन
प्रसव के बाद महिलाओं के हार्मोन्स में बदलाव होते है, जिसका असर उसके व्यवहार पर पड़ता है। प्रेग्नेंसी की वजह से अक्सर नई मांएं स्ट्रेस और डिप्रेस महसूस करती हैं। किसी वजह के बिना भी उन्हें काफी इमोशनल महसूस हो सकता है जिसे मेडिकल भाषा में पोस्टपार्टम डिप्रेशन कहते हैं। कई बार महिलाएं पोस्टपार्टम डिप्रेशन के साथ-साथ पोस्टपार्टम एंग्जायटी (Postpartum anxiety) की भी शिकार होती हैं।
पोस्टपार्टम डिप्रेशन के लक्षण
. हर समय मन उदास रहना
. स्वभाव में चिड़चिड़ापन बढ़ना और एंग्जइटी महसूस होना
. ज्यादा आलस व थकान रहना
. खुद को किसी काम का ना समझना
. सिर या पेट में दर्द की परेशानी होना
. भूख कम या ना के बराबर लगना
. किसी काम या एक्टिविटी में ध्यान व मन ना लगना
. कई मांओं को बच्चे के साथ बॉन्डिंग बनाने में समस्या आती है
. बार-बार मन में बुरे ख्याल आने से रोने का मन करना
. अकेले रहना का मन करना
पोस्टपार्टम डिप्रेशन का इलाज
. डिलीवरी के बाद पार्टनर व परिवार के सदस्य महिला के साथ अधिक से अधिक समय बीताएं।
. पार्टनर या घर के किसी सदस्य के साथ सैर पर जाएं।
. अपने खान-पान का अच्छे से ध्यान रखें।
. डॉक्टर से पूछकर हल्की-फुल्की एक्सरसाइज या योग करें।
. दोस्तों के साथ फोन के जरिए संपर्क में रहें।
. समस्या अधिक हो तो इससे बचने के लिए काउंसलिंग का सहारा लें।
. पार्टनर व परिवार वालों का सपोर्ट मिलने पर भी इस समस्या से बचा जा सकता है।
अगर समस्या अधिक हो जाए तो मनोचिकित्सक से संपर्क करना चाहिए। इसके लिए मनोचिकित्सक मेडिकेशन थेरेपी, दवा और काउंसलिंग से इस बीमारी का इलाज करते हैं।