भारत इस साल 26 जनवरी, 2024 को 75 वां गणतंत्र दिवस मनाने जा रहा है। इस दिन 26 जनवरी, 1950 में हमारे देश का संविधान लागू हुआ था और भारत को गणराज्य घोषित किया गया था। यह दिन हर भारतीय के लिए बेहद खास होता है। इस मौके पर हर साल दिल्ली के कर्तव्य पथ पर परेड होती है। देशभर से लोग इस परेड को देखने के लिए आते है लेकिन क्या आप जानते है कि कर्तव्य पथ पर परेड क्यों निकाली जाती है और इस पथ को कर्तव्य पथ क्यों कहा जाता है? अगर नहीं तो चलिए, आज आपको बताते है इसके पीछे की वजह क्या है।
क्यों कहते हैं इसे कर्तव्य पथ?
राष्ट्रपति भवन से लेकर इंडिया गेट तक के इस 3 किलोमीटर के इस मार्ग को कर्तव्य पथ कहते है। कर्तव्य पथ का अर्थ है कर्तव्यों का मार्ग। ये दो शब्दों का सुमेल है। कर्तव्य का अर्थ होता है वह कार्य जो करना नैतिक रूप से सही या जरूरी है और पथ का अर्थ है मार्ग। इसका शाब्दिक अर्थ है वह मार्ग जो हमें अपने कर्तव्यों को पूरा करने की ओर ले जाता है। यह एक आदर्श है जो हमें अपने कर्तव्यों को गंभीरता से लेने और उन्हें पूरा करने के लिए प्रेरित करता है।
क्यों निकाली जाती है कर्तव्य पथ पर परेड?
3 किलोमीटर का यह मार्ग ऐतिहासिक अहमियत रखता है। इस मार्ग ने आजादी के लिए भारत के संघर्ष में अहम किरदार अदा किया था। इस जगह को पहले किंग्सवे के नाम से जाना जाता था। यह इलाका नई दिल्ली शहर का केंद्र है। इसे साल 1911 में ब्रिटिश राज ने अपनी राजधानी कलकत्ता से यहां स्थानांतरित करने के बाद बनाया था। आजादी के बाद इसका नाम बदलकर राजपथ रखा गया। आजादी की सुबह से लेकर पिछले सात दशकों में हर साल यहां गणतंत्र दिवस समारोह आयोजित किया गया है।
राजपथ का नाम कर्तव्य पथ कब रखा?
गणतंत्र दिवस की परेड जहां से निकलती है उसे पहले राजपथ कहा जाता था। राजपथ का नाम सितंबर 2022 में बदलकर 'कर्तव्य पथ' कर दिया गया प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरफ से संशोधित सेंट्रल विस्टा एवेन्यू के हिस्से के रूप में इसका उद्घाटन किया गया। सरकार के मुताबिक, यह राजपथ से शक्ति के प्रतीक कर्तव्य पथ की ओर बदलाव का प्रतीक है। उद्घाटन के बाद अपने खिताब में, पीएम मोदी ने कहा कि किंग्सवे या राजपथ, "गुलामी का प्रतीक", अब इतिहास में बदल दिया गया है और हमेशा के लिए मिटा दिया गया है।