पूजा के दौरान सिर ढकने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। इसके अलावा महिलाएं बड़ों को सम्मान देने के लिए साड़ी से या दुपट्टे से सिर ढकती हैं। वैसे तो सिर ढकना सम्मान का सूचक होता है लेकिन जब पूजा-पाठ की बात आती है सिर्फ महिलाएं ही नहीं पुरुष भी सिर को किसी कपड़े से ढकते हैं। हिंदू सहित सिख और मुस्लिम धर्म में भी धार्मिक कार्यों के दौरान सिर ढकना जरूरी होता है। लेकिन क्या आपने इस बारे में कभी सोचा है कि आखिर क्यों पूजा-पाठ में स्त्री और पुरुष दोनों के लिए सिर ढकना जरूरी होता है। आइए आपको बताते हैं इसके बारे में विस्तार से...
पूजा में सिर ढकने के मुख्य कारण
1. कहा जाता है कि पूजा के समय सिर ढकने से चंचल मन भटकता नहीं है और पूरा ध्यान पूजा की तरफ ही केंद्रति रहता है। इससे भक्ति ईश्वर से जुड़ पाते हैं।
2.जिस तरह बड़े बुजुर्गों के सम्मान में हम सिर ढकते हैं उसी तरह भगवान को भी सम्मान देने के लिए सिर ढका जाता है। पूजा के समय सिर ढकना भगवान के प्रति आदर का प्रतीक माना जाता है।
3.सिर ढकने का एक कारण यह भी बताया जाता है कि शास्त्रों के अनुसार पूजा में काले रंग का प्रयोग वर्जित माना गया है। हमारे बाल भी काले होते हैं, इसलिए पूजा के दौरान नकारात्मकता से बचने से लिए सिर ढकना जरूरी होता है।
4. शास्त्रों में पूजा पाठ के लिए स्त्री और पुरुष सभी के लिए एक समान नियम होते हैं। इसलिए पूजा में महिलाओं के साथ ही पुरुषों को भी सिर ढकना जरूरी हो जाता है।
5. कई लोगों में बाल झड़ने और डेंड्रफ आदि जैसी समस्याएं होती है। ऐसे में पूजा की सामाग्रियों में बाल या डेंड्रफ गिरने से वो अशुद्ध हो जाते हैं। इसलिए भी पूजा में सिर ढकना बताया गया है।