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फूड क्रेविंग और फूड एडिक्शन को भूख समझने की भूल न करें, दोनों में है ये खास अंतर

  • Edited By Priya Yadav,
  • Updated: 10 Sep, 2024 11:17 AM
फूड क्रेविंग और फूड एडिक्शन को भूख समझने की भूल न करें, दोनों में है ये खास अंतर

नारी डेस्क: हम एक बेहद महत्वपूर्ण और रोचक विषय पर चर्चा करेंगे। फूड एडिक्शन और क्रेविंग में अंतर। अक्सर हमें किसी खास चीज को खाने की अचानक और तीव्र इच्छा होती है, जिसे हम क्रेविंग मान लेते हैं। लेकिन, क्या आप जानते हैं कि फूड एडिक्शन और क्रेविंग सिर्फ एक ही चीज नहीं हैं? फूड एडिक्शन एक गंभीर  स्थिति है, जहां खाना सिर्फ एक शारीरिक जरूरत नहीं बल्कि मानसिक और भावनात्मक संतोष का भी स्रोत बन जाता है। वहीं, क्रेविंग एक अस्थायी तलब है, जो किसी खास खाद्य पदार्थ के प्रति होती है।आज हम विस्तार से जानेंगे कि फूड एडिक्शन और क्रेविंग में क्या फर्क है, कैसे इन्हें पहचाना जा सकता है, और अगर आपको इनमें से किसी एक का सामना करना पड़ रहा है, तो आप क्या कर सकते हैं। इस लेख में, हम दोनों के बीच के अंतर को स्पष्ट करेंगे और जानेंगे कि इन्हें कैसे पहचाना जा सकता है।

क्रेविंग के लक्षण

किसी खास फ़ूड खाने की इच्छा जो अस्थायी होती है। उदाहरण के लिए, चॉकलेट या पिज्जा के लिए अचानक तलब होना एक फ़ूड क्रेविंग में शामिल होता हैं। 
कभी-कभी क्रेविंग उस समय होती है जब शरीर को किसी खास पोषक तत्व की कमी होती है।  एक और कारण होता हैं क्रेविंग का जब  तनाव, थकावट या भावनात्मक स्थिति के कारण किसी  फ़ूड  को खाने की तलब होती है।

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फूड एडिक्शन क्या है?

फूड एडिक्शन एक प्रकार का ईटिंग डिसऑर्डर है जिसमें खाना सिर्फ शारीरिक जरूरतों को पूरा करने का साधन नहीं रहता, बल्कि यह मानसिक और भावनात्मक संतोष का मुख्य स्रोत बन जाता है। इसका मतलब है कि खाना केवल ऊर्जा का स्रोत नहीं है, बल्कि यह आनंद और मानसिक सुकून के लिए भी खाया जाता है। जब खाना इस स्तर पर पहुँच जाता है, तो यह शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर सकता है।

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फूड एडिक्शन और क्रेविंग में अंतर

फूड एडिक्शन और क्रेविंग दो अलग हैं, जिन्हें अक्सर समझने लोग भूल कर बैठते हैं। फूड एडिक्शन एक गंभीर स्थिति होती है जहां व्यक्ति खाना केवल शारीरिक जरूरत के लिए नहीं, बल्कि मानसिक और भावनात्मक संतोष के लिए भी खाता है। इसमें खाना धीरे-धीरे एक नशा बन जाता है, जिससे व्यक्ति को अपनी खाने की आदतों पर नियंत्रण खो जाता है और उसका शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित होता है। दूसरी ओर, क्रेविंग एक अस्थायी और तीव्र इच्छा होती है जो किसी खास खाद्य पदार्थ के प्रति होती है। यह अक्सर पोषण की कमी, थकावट या भावनात्मक स्थिति के कारण होती है, लेकिन यह आमतौर पर कुछ समय के लिए होती है और इसका तुरंत प्रभाव नहीं होता। जबकि क्रेविंग के दौरान व्यक्ति विशेष फ़ूड के लिए इच्छाशक्ति महसूस करता है, फूड एडिक्शन में खाना एक आदत बन जाता है जो उसकी जीवनशैली और स्वास्थ्य को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकती है। इस प्रकार, फूड एडिक्शन और क्रेविंग के बीच का अंतर समझना महत्वपूर्ण है ताकि सही समाधान और प्रबंधन किया जा सके।

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फूड एडिक्शन और क्रेविंग दोनों ही भोजन से संबंधित समस्याएं हैं, लेकिन इनके स्वभाव और प्रभाव में महत्वपूर्ण अंतर होते हैं। फूड एडिक्शन एक गंभीर समस्या हो सकती है जिसे इलाज की आवश्यकता होती है, जबकि क्रेविंग सामान्यत: अस्थायी होती है और पोषण की जरूरतों या भावनात्मक स्थिति का संकेत हो सकती है। इन दोनों के बीच अंतर को समझना महत्वपूर्ण है ताकि सही तरीके से समाधान किया जा सके और स्वस्थ जीवनशैली अपनाई जा सके।

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