शिशु का वजन कई बार जन्म के समय सामान्य से कम होता है। मेडिकल भाषा में इसे 'लो बर्थ वेट कहते हैं।, आनुवांशिक या किसी हैल्थ प्रॉब्लम्स के कारण हो सकती है। हालांकि प्रेगनेंसी में की गई कुछ गलतियां भी शिशु के वजन पर असर डालती हैं। चलिए आपको बताते हैं कि जन्म के समय शिशु का वजन किन वजहों से कम हो सकता है।
जन्म के समय कम वजन क्या है?
जिन शिशुओं का वजन 2,500 ग्राम (5 पाउंड, 8 औंस) से कम होता है, उन्हें जन्म के समय कम वजन कहा जाता है। जन्म के समय एक बच्चे का औसत वजन लगभग आठ पाउंड होता है। अगर शिशुओं का जन्म 37 से 42 सप्ताह के बीच होता है, लेकिन उनका वजन कम होता है, तो उन्हें पूर्ण अवधि के लिए जन्म के समय कम वजन माना जाता है। जन्म के समय कम वजन के बच्चे सामान्य स्वस्थ जन्म के वजन वाले बच्चों की तुलना में छोटे दिखाई देते हैं और उनका सिर शरीर के बाकी हिस्सों से बड़ा दिखाई देता है। रिसर्च के अनुसार, अमेरिका में पैदा होने वाले लगभग 8% बच्चों का जन्म के समय कम वजन होता है।
शिशुओं में जन्म के समय कम वजन होने के कारण क्या है?
समय से पहले जन्म
गर्भावस्था के 37 सप्ताह से पहले जन्म लेने पर नवजात को प्रीमौच्योर बर्थ कहा जाता है। कई बार प्रेगनेंसी में कॉम्प्लिकेशन के कारण बच्चों के पास मां के गर्भ में बढ़ने और विकसित होने के लिए कम समय होता है इसलिए वह समय से पहले जन्म ले लेते हैं, जिसे प्रीमौच्योर बर्थ कहा जाता है।
इंट्रायूटराइन ग्रोथ रेस्ट्रिक्शन (IUGR)
अंतर्गर्भाशयी विकास प्रतिबंध के साथ पैदा हुए बच्चे गर्भकालीन आयु के लिए छोटे होते हैं या फिर भी जन्म के समय उनका वजन कम होता है। ऐसा जीवनशैली या आनुवंशिक कारणों से हो सकता है।
मल्टीपल प्रेगनेंसी
अगर आप एक से अधिक बच्चे यानी जुड़वा, तीन या अधिक बच्चे को जन्म देने वाली हैं तो प्रत्येक शिशु का वजन 2,500 ग्राम से कम हो सकता है।
उच्च रक्तचाप
हाई बीपी के कारण प्लेसेंटा से शिशु का ब्लड सर्कुलेशन बाधित होता है, जिससे जन्म के समय उनका वजन कम हो सकता है। ऐसे में अगर आपको हाई ब्लड प्रेशर है तो प्रेगनेंसी के दौरान सावधान रहें।
ड्रग्स या अल्कोहल का सेवन
गर्भावस्था के दौरान निकोटीन, ड्रग्स या अल्कोहल का सेवन भी शिशु के विकास को प्रभावित करता है। ये पदार्थ प्लेसेंटा में हानिकारक रसायन छोड़ते हैं जो शिशु को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पाती और उनके वजन पर भी असर पड़ता है।
प्लेसेंटा से जुड़ी दिक्कत
प्रेगनेंसी के समय आपको प्री-एक्लेमप्सिया या प्लेसेंटा से जुड़ी कोई भी समस्या है तो वे भ्रूण को रक्त और पोषक तत्वों के प्रवाह को प्रभावित करेंगे। ऐसे में जन्म के समय शिशु का वजन कम हो सकता है।
डायबिटीज
प्रेगनेंसी में डायबिटीज ग्रस्त महिलाओं को प्रीमौच्योर डिलीवरी हो सकती है। साथ ही इससे बच्चे के वजन पर भी असर पड़ता है।
गर्भाशय की असामान्यताएं
फाइब्रॉएड, गर्भाशय ग्रीवा या गर्भाशय की खराबी भ्रूण के वजन पर असर डालती है। इसके अलावा आनुवांशिक या प्रेगनेंसी में इंफेक्शन के कारण भी बच्चे के जन्म पर असर पड़ता है।
सही डाइट ना लेना
असंतुलित आहार या कुपोषण के कारण जन्म के समय कम वजन वाले बच्चे की संभावना होती है। एक बढ़ते बच्चे को विकसित होने के लिए पर्याप्त पोषक तत्वों की जरूरत होती है, जिसमें भोजन अहम भूमिका निभाता है।
पहले कोई दिक्कत रही हो
प्रीटर्म डिलीवरी या पहली प्रेगनेंसी के दौरान बेबी बर्थ वेट को लेकर कोई समस्या हो चुकी है तो दोबारा शिशु का वजन कम हो सकता है। ऐसे में आपको अपने डॉक्टर से इस बारे में खुलकर बात करनी चाहिए।