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जानलेवा बीमारी से अब लड़ना होगा आसान! दुनिया की पहली कैंसर वैक्सीन से जगी उम्मीद

  • Edited By vasudha,
  • Updated: 02 Jun, 2024 10:48 AM
जानलेवा बीमारी से अब लड़ना होगा आसान! दुनिया की पहली कैंसर वैक्सीन से जगी उम्मीद

जहां एक तरफ कैंसर पूरी दुनिया में तबाही मचा रही है वहीं दूसरी तरफ इससे जुड़ी बड़ी खबर सामने आई है। इस घातक बीमारी को राेकने के लिए   लंदन में नेशनल हेल्थ सर्विस (NHS) कैंसर वैक्सीन का परीक्षण शुरू करने की तैयारी में है।  इस वैक्सीन का मकसद इम्यून सिस्टम को कैंसर की कोशिकाओं यानी कैंसर सेल को पहचानने और उन्हें खत्म करने में मदद करना है। इससे कैंसर से जंग लड़ रहे लोगों को उम्मीद की किरण दिखाई दी है।

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दो कंपनियाें ने मिलकर बनाई वैक्सीन

बताया जा रहा है कि इसे बायोफार्मास्युटिकल कंपनी बायोएनटेक और जेनेंटेक द्वारा संयुक्त रूप से इस वैक्सीन को बनाया जा रहा है। इसे कोरोना वायरस की वैक्सीन की तरह ही mRNA तकनीक का उपयोग कर बनाया गया है। अब जल्द ही 30 से ज्यादा अस्पतालों में कैंसर वैक्सीन का डोज लगाया जाएगा। इसके बाद बाकी देशों में भी इसका परीक्षण शुरू किया जाएगा।

 

इस तरह काम करेगी ये वैक्सीन

दरसअल कैंसर की वैक्सीन खसरा या COVID-19 जैसी बीमारियों को रोकने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली ट्रेडिशनल वैक्सीन की तरह नहीं होती हैं. इसके बजाय, वे थेराप्यूटिक (therapeutic) होती हैं, जिनका मकसद मरीज के इम्यून सिस्टम को कैंसर कोशिकाओं पर हमला करने के लिए स्टीमुलेट करके कैंसर का इलाज करना है। ये वैक्सीन मरीज की कोशिकाओं को एंटीजन या प्रोटीन उत्पन्न करने के निर्देश भेजती हैं, जो कैंसर कोशिकाओं को सामान्य कोशिकाओं से अलग कर सकते हैं. फिर मरीज का इम्यून सिस्टम इन प्रोटीनों को पहचानने और उन पर हमला करने के लिए एंटीबॉडी जनरेट करता है, जो कैंसर कोशिकाओं को टारगेट करती है।

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NHS ने शुरू की ये स्कीम

 नेशनल हेल्थ सर्विस (NHS) ने हजारों कैंसर रोगियों को इन पर्सनलाइज्ड वैक्सीन के क्लिनिकल ट्रायल तक एक्सेस देने के लिए कैंसर वैक्सीन लॉन्च पैड नाम की एक स्कीम शुरू की है। NHS ने एक बयान में कहा- कोलोरेक्टल कैंसर से पीड़ित 55 साल के लेक्चरर इलियट फेबवे (Elliot Pfebve), इस प्रोग्राम के माध्यम से पर्सनलाइज्ड वैक्सीन रिसीव करने वाले यूके के पहले मरीज थे। पहले ट्यूमर को हटाने के लिए फेबवे की सर्जरी की गई और उसके बाद कीमोथेरेपी की गई। इसके बाद उनकी कैंसर कोशिका का नमूना जर्मनी में बायोएनटेक की प्रयोगशालाओं में भेजा गया। हां उनकी कोशिका में 20 म्यूटेशन की पहचान की गई इसके बाद व्यक्तिगत टीका बनाया गया। यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल्स बर्मिंघम में उन्हें टीका लगाया गया है।

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वैक्सीन  को लेकर हो रहा है अध्ययन

दरसअल कुछ कैंसर कोशिकाएं बची रहने के कारण या वापस आ जाता है, यह वैक्सीन इसे रोकने में मदद करेगी। वैज्ञानिक कई अलग-अलग प्रकार की कैंसर वैक्सीन का अध्ययन कर रहे हैं और वे अलग-अलग कैंसर में कैसे काम कर सकते हैं।  विशेषज्ञों का मानना ​​है कि ये वैक्सीन आंत, फेफड़े, मूत्राशय, अग्न्याशय और गुर्दे के कैंसर के इलाज में प्रभावशाली साबित हो सकती है।

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