चोट लगने के बाद खून का बंद ना होना... त्वचा में सूजन और लालपन को हल्के में लेते हैं तो सतर्क हो जाए क्योंकि यह हीमोफीलिया का संकेत हो सकता है। भारत में करीब 2 लाख लोगों को यह समस्या होती है लेकिन जागरूकता की कमी उन्हें बड़े खतरे में डाल देती है। चलिए आपको बताते हैं कि यह बीमारी क्या है और इसका इलाज कैसे किया जाए...
क्या है हीमेटोमा?
हीमेटोमा के कारण चोट लगने पर खून रक्त वाहिका, धमनी, नस या केशिका से निकलकर बाहर की ओर जमा हो जाता है। इसमें कारण खून बेहद कम, कुछ बूंद या बहुत अधिक निकल सकता है। इसके कारण शरीर में खून की कमी हो जाती है जो ध्यान ना देने पर जानलेवा भी बन सकती है।
हीमेटोमा के कारण
. आनुवांशिक
. किसी कारण चोट लगना या सड़क दुर्घटना
. शरीर में ब्लड क्लॉटिंग फैक्टर की कमी
. खून के थक्के बनना
हीमेटोमा के लक्षण क्या हैं?
हीमेटोमा के के कारण प्रभावित हिस्से में तेज दर्द, सूजन लालिमा और छाले पड़ सकते हैं। इसके अलावा ...
-सबडुरल हीमेटोमा में
सिरदर्द, नर्व्स संबंधी समस्या, मिर्गी
-एपिडुरल हीमेटोमा में
कमर दर्द, कमजोरी, कब्ज
-सबअंगुअल हीमेटोमा में
नाखूनों का बार-बार टूटना, दर्द और कमजोरी हो सकती है।
इसके अलावा अचानक ब्लीडिंग होने पर मल व यूरिन से खून आना, त्वचा पर गहरे नीले घाव पड़ना, बिना चोट लगे शरीर पर नील पड़ना, स्वभाव में चिड़चिड़ाहट जैसी परेशानियां भी हो सकती हैं।
हीमेटोमा का इलाज कैसे होता है?
हीमेटोमा का ट्रीटमेंट इस बात पर निर्भर करता है कि स्थिति कितनी गंभीर है और शरीर का कौन-सा हिस्सा कितना प्रभावित है। ऐसा इसलिए क्योंकि हीमेनटोमा के कुछ मामलों में इलाज की जरूरत नहीं होती जबकि कुछ लोगों को सर्जरी तक की नौबत आ जाती है।
अगर हीमेटोमा के मरीज है तो कभी ना भूलें ये बातें...
. फिजिकल एक्टीविटी ज्यादा से ज्याद करें क्योंकि इससे ब्लड सर्कुलेशन सही रहता है और खून के थक्के बनने की समस्या नहीं होती।
. खून गाढ़ा करने वाली दवाइयां लेने से बचें क्योंकि यह आपकी परेशानी बढ़ा सकते हैं।
. महीने में कम से कम 2 बार खून की और डेंटल चेकअप करवाएं।
. ऐसी गतिविधियां ना करें, जिससे चोट लगने का डर हो।
. डाइट में ज्यादा से ज्यादा हरी सब्जियां, फल, सूखे मेवे, अंजीर जैसी हैल्दी चीजें शामिल करें।