![देश के लिए मिंटी ने छोड़ा ढाई लाख का पैकेज, एक इशारे में गिराया पाक का एफ-16](https://static.punjabkesari.in/multimedia/2020_10image_13_47_515311233mintyaggarwalnaripunja-ll.jpg)
महिलाएं आज हर क्षेत्र में अपने काम से देश का नाम रोशन कर रही हैं। देशभक्ति का जुनून से भरी स्क्वाड्रन लीडर मिंटी अग्रवाल पर आज पूरे भारत देश को गर्व है। अंबाला की रहने वाली मिंटी अग्रवाल युद्ध सेवा पदक पाकर इतिहास रचने वाली पहली महिला बन गई है। मिंटी ने अपनी बहादुरी और समझदारी दिखाते हुए वायुसेना के विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान गिराने में अहम भूमिका निभाई थी।
मिंटी ने दिखाई समझदारी और बहादुरी
मिंटी अग्रवाल वायुसेना के राडार कंट्रोल स्टेशन पर तैनात थी। वहां के तनावपूर्ण वातावरण में मिंटी ने बड़ी ही समझदारी और बहादुरी से हालात को संभाला। मिली जानकारी के मुताबिक जब पीओके के रास्ते भारतीय वायु सीमा में प्रवेश करने के लिए एयरबेस से पाकिस्तानी लड़ाकू विमानों ने उड़ान भरी तो मिंटी अग्रवाल ने श्रीनगर स्थित वायुसेना एयरबेस को इसकी जानकारी दी। जहां विंग कमांडर अभिनंदन और उनके साथ कई जांबाज भारतीय लड़ाकू विमान के साथ हाई अलर्ट पर थे। जैसे ही मिंटी ने इसकी सूचना दी वैसे ही अभिनंदन ने लड़ाकू विमान के साथ उड़ान भरी। मिंटी ने पाकिस्तान सीमा देख अभिनंदन को वापिस मुड़ने का संकेत दिया था। लेकिन तब तक वह पाकिस्तान की सीमा में घुस चुके थे। इस तरह उनका यह ऑपरेशन सफल हुआ था।
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बचपन से ही मिंटी में भरी थी देशभक्ति की भावना
बचपन से ही मिंटी में देशभक्ति की भावना इस कद्र भरी हुई थी कि उन्होंने ढाई लाख के सालाना पैकेज को भी ठुकरा दिया था। मिंटी ने आईएएस की तैयारी शुरू की जिसके वह बाद सफलता की तरफ बढ़ती चली गई। मिंटी अपने चार बहन-भाई में सबसे छोटी है। बचपन से ही पढ़ाई में होशियार मिंटी अग्रवाल को काॅलेज के दौरान ही पुणे की एक इंफोसिस यानी आईटी कंपनी में बतौर प्रोग्रामर नौकरी मिल गई थी। उन्हें वहां सलाना ढाई लाख का पैकेज मिलता था। लेकिन मिंटी इन सबसे खुश नहीं थी। आईटी कंपनी में करीब एक साल काम करने के बाद मिंटी ने आईएएस की तैयारी शुरू कर दी। इस बीच जब एयरफोर्स की भर्ती निकली तो अपने बचपन के सपने को पूरा करने के लिए उन्होंने अपनी किस्मत को आजमाने की सोची।
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एयरफोर्स में सिलेक्शन होने पर खुशी से झूम उठी थी मिंटी
जिसके बाद एडमिशन सेक्शन में मिंटी का सिलेक्शन हुआ, एयर डिफेंस कॉलेज में मेरिट पर आने की वजह से उन्हें एयर फाइटर कंट्रोलर विंग में लाया गया। मिंटी के भाई अरविंद्र अग्रवाल ने बताया कि जब पता चला कि पूरे नार्थ इंडिया में सिर्फ चार बच्चों की सलेक्शन हुई है तो मिंटी को लगा कि वो उनमें कहां से होगी। लेकिन जैसे ही पता चला कि उन चार बच्चों में से एक मिंटी का नाम है तो पूरा परिवार बेहद खुश था। मिंटी ने एसएसबी क्लीअर किया और एयरफोर्स से जुड़ गई।
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मिंटी के परिवार वालों का कहना है कि बचपन में जब वह सेना या एयरफोर्स की वर्दी में अधिकारियों को देखती थी तो उनकी तरफ काफी आकर्षित होती थी। जब मिंटी सातवीं कक्षा में थी तब उनकी मां का निधन हो गया था। लेकिन मिंटी की भाभी साक्षी ने कभी भी मां की कमी महसूस नहीं होने दी। उनके पिता रविंद्र कुमार अग्रवाल ऑर्डनरी ऑफिसर से रिटायर्ड है।