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वेंटिलेटर सपोर्ट पर लोक गायिका शारदा सिन्हा,  इनके गीतों के बिना अधूरी है छठ पूजा

  • Edited By vasudha,
  • Updated: 05 Nov, 2024 11:41 AM
वेंटिलेटर सपोर्ट पर लोक गायिका शारदा सिन्हा,  इनके गीतों के बिना अधूरी है छठ पूजा

नारी डेस्क: आज से लोक आस्था का पर्व छठ पूजा की शुरुआत हो चुकी है। इस दौरान  घर-घर छठ पूजा के गीत सुनने काे मिल रहे हैं।  मशहूर लोक गायिका शारदा सिन्हा जो छठ के गीतों के लिए जानी जाती है,  इस समय जिंदगी और मौत के बीच जंग लड़ रही है।प्रसिद्ध कलाकार गंभीर रूप से बीमार हैं और नई दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में उनका इलाज चल रहा है। छठ गीत दुखवा मिटाईं छठी मईया… सुनकर उनके जीवन के लिए प्रार्थना कर सकते हैं।

 

छठ त्योहार के दौरान अपनी आत्मा को झकझोर देने वाली लोक प्रस्तुतियों के लिए प्रसिद्ध शारदा सिन्हा की हालत के बारे में सुनकर लोगों को गहरी चिंता सता रही है। वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी गायिका शारदा सिन्हा के परिवार से उनके स्वास्थ्य के बारे में जानकारी ली और उनके चल रहे इलाज के लिए सभी आवश्यक सहायता की पेशकश की।

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72 वर्षीय शारदा सिन्हा 2018 से मल्टीपल मायलोमा, एक प्रकार के रक्त कैंसर से जूझ रही हैं। सोमवार को उनकी हालत और बिगड़ गई, जिसके कारण उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया। एम्स के एक आधिकारिक बयान के अनुसार  गायिका "हार्मोडायनामिक रूप से स्थिर है, लेकिन निरंतर निगरानी में है।" उनके बेटे अंशुमान सिन्हा  ने पुष्टि की कि प्रधानमंत्री मोदी ने व्यक्तिगत रूप से उन्हें उनकी मां के इलाज के लिए सभी आवश्यक सहायता का आश्वासन दिया था। लोक गायिका के स्वास्थ्य में गिरावट ने उनके प्रशंसकों और शुभचिंतकों के बीच व्यापक चिंता पैदा कर दी है। 

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बिहार के पारंपरिक लोक संगीत और अपने प्रतिष्ठित छठ गीत में उनके योगदान के लिए जानी जाने वाली शारदा सिन्हा को इस क्षेत्र की सांस्कृतिक राजदूत माना जाता है। पिछले कुछ वर्षों में उनकी आवाज़ छठ त्योहार का पर्याय बन गई है, जिसे बिहार और उत्तर भारत के अन्य हिस्सों में व्यापक रूप से मनाया जाता है। सिन्हा का शानदार करियर 1970 के दशक में शुरू हुआ और उन्होंने भोजपुरी, मैथिली और हिंदी लोक संगीत में अपने काम के लिए राष्ट्रीय पहचान हासिल की। 

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'हम आपके हैं कौन..!' के 'बबूल' जैसे उनके मशहूर गानों ने उन्हें न सिर्फ़ प्रसिद्धि दिलाई बल्कि आलोचकों की प्रशंसा भी मिली। 2018 में, कला में उनके योगदान के लिए उन्हें भारत के तीसरे सबसे बड़े नागरिक पुरस्कार, प्रतिष्ठित पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। उन्होंने क्षेत्रीय सिनेमा में अग्रणी आवाज़ों में से एक के रूप में अपनी विरासत को मजबूत करते हुए राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार भी जीता है। 

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