हिंदू पंचागों के अनुसार, एकादशी के व्रत का बहुत ही महत्व होता है। हर महीने में 2 एकादशी और साल में कुल 24 एकादशी के व्रत रखे जाते हैं। हर किसी एकादशी का अलग-अलग महत्व होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो भी व्यक्ति हर किसी एकादशी के व्रत को पूरी श्रद्धा भाव के साथ करता है उसे संसार के सारे सुख मिलती हैं। धार्मिक शास्त्रों के अनुसार, इस महीने में पौष महीने की एकादशी का व्रत रखा जाता है जिसे सफला एकादशी भी कहते हैं। इस बार सफला एकादशी 19 दिसंबर यानी आज मनाई जा रही है। यह साल की आखिरी एकादशी है। तो चलिए आपको बताते हैं इस एकादसी के व्रत और पूजा की विधि
शुभ मुहूर्त
पंचागों के अनुसार, इस साल पौष महीने की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि का शुभ मुहूर्त आज सुबह 03:32 से शुरु हो चुका है। यह मुहूर्त अगले दिन यानी 20 दिसंबर सुबह 02:32 को खत्म होगा। उदयातिथि के अनुसार, सफला एकादशी का व्रत 19 दिसंबर को रखा जाएगा। व्रत के पारण का समय 20 दिसंबर सुबह 08:05 से लेकर सुबह 09:13 तक रहेगा।
व्रत का महत्व
हिंदू शास्त्रों के अनुसार, सफला एकादशी के दिन व्रत और भगवान विष्णु की पूजा करने से सौभाग्य मिलता है। इसके अलावा जो व्यक्ति पूरी श्रद्धा और सच्चे मन से भगवान विष्णु की पूजा करते हैं उन्हें मृत्यु के बाद बैकुंठ में स्थान मिलता है। माना जाता है कि 1 हजार अश्वमेघ यज्ञ इतना फल नहीं देते जितना सिर्फ एक सफला एकादशी के व्रत से मिलता है।
इन नियमों का रखें ध्यान
. यदि आप एकादशी के व्रत का पालन नहीं करते तो भी आज के दिन चावल का सेवन न करें।
. एकादशी तिथि को पूरे दिन व्रत रखकर आप रात्रि को जागकर श्री हरि का स्मरण कर सकते हैं।
. एकादशी तिथि खत्म होने से पहले व्रत का पारण न करें।
. एकादशी के दिन आप बिस्तर पर भी न सोएं। जमीन पर आप एकादशी के दिन सो सकते हैं।
. मांस, नशीली वस्तु, लहसुन और प्याज का सेवन भी न करें।
. आज के दिन पेड़-पौधे का कोई भी फूल-पत्ती तोड़ना शुभ नहीं माना जाता है।
कैसे करें पूजा?
एकादशी के दिन आप सुबह जल्दी उठकर व्रत का संकल्प लें। इसके बाद पूजा में भगवान को धूप, दीप, फूल, फल और पंचामृत चढ़ाएं। इसके बाद भगवान की पूजा के लिए आप नारियल, सुपारी, आंवला, लौंग भी अर्पित करें। एकादशी के दिन आप रात में न सोएं और रात को जागरण करके भगवान श्री हरि के नाम का जाप भी अवश्य करें। व्रत का बहुत ही खास महत्व बताया गया है। आप पूरा दिन व्रत जरुर करें और सारा दिन फलाहार का सेवन करें। नमक का सेवन इस दिन भूलकर भी नहीं करना चाहिए। अगले दिन द्वादशी वाले दिन आप जरुरतमंद व्यक्ति या किसी ब्राह्मण को भोजन करवाकर उन्हें दान दक्षिणा जरुर दें। इसके बाद आप अपने व्रत का पारण कर सकते हैं।