वह 358 वर्ग फुट के फ्लैट में रहती हैं और 50,454 रुपए मासिक पैंशन पर गुजारा करती हैं मगर चित्रलेखा मल्लिक कई कलकत्ता वासियों से कहीं अधिक समृद्ध है। पिछले साल उन्होंने जादवपुर विश्वविद्यालय को 56 लाख रुपए दिए, जहां से उन्होंने पी.एच.डी. पूरी की थी। जब उनके बैंक मैनेजर ने उन्हें अपने लिए भी कुछ बचाने को कहा तो इस सेवानिवृत्त कॉलेज शिक्षिका ने कहा, मैं बहुत सादा जीवन जीती हूं और जो पैंशन मैं पाती हूं, वह मेरे भरण-पोषण के लिए पर्याप्त हैं।
गुरु की याद में 50 लाख किए दान
राजाबाजार स्थित विक्टोरिया इंस्टीट्यूट में संस्कृत की पूर्व रीडर चित्रलेखा ने अब तक शिक्षा और परोपकार के लिए 97 लाख रुपए से अधिक का दान दिया है। 71 वर्षीय शिक्षिका ने कहा, मुझे देने में आनंद आता है। मैं वह सब कुछ दूंगी जो मेरे पास है। 2018 में मैंने अपने शक्षिक पंडित विधुभूषण भट्टाचार्य की याद में 50 लाख रुपए दान किए थे। मैंने सोचा था कि यह उन्हें श्रद्धाजंलि देने का तरीका होगा। लगभग उसी समय मैंने छात्रों को छात्रवृत्ति के लिए अपने शिक्षक की पत्नी हेमाबती भट्टाचार्य की याद में 6 लाख रुपए का दान दिया।
दान के रास्ते में कभी नहीं आने दी शारीरिक बाधा
दान करने के लिए एक-एक पैसा बचाने के लिए चित्रलेखा बहुत दर्द सहती है। 1994 में एक दुर्घटना के बाद वहह लंगडा कर चलने लगीं लेकिन इससे उनका हौसला कम नहीं हुआ। फिर भी शारीरिक बाधा के बावजूद 70 की उम्र में वह बस द्वारा शहर के भीतर दूरी तय करती हैं। चित्रलेखा के पास घर के काम में मदद करने वाला कोई नहीं है। वह अपनी किराने की खरीदारी खुद करती है और अपना भोजन खुद बनाती है।
साधन संपन्न लोगों द्वारा किसी संस्था के लिए योगदान कोई नई बात नहीं है परंतु चित्रलेखा को जो बात अलग करती, वह यह कि वह कोई बड़ी उद्योगपति या किसी कंपनी की सीईओ नहीं है। जहां से आईआईटी जैसे संस्थानों को फायदा होता है। सीमित साधन होने पर भी उन्होंने दूसरों की मदद करने के लिए अपना पर्स खाली कर दिया है। उनके पिता एक स्कूली अध्यापक थे और उन्होंने उनका पालन पोषण बिरलापुर में किया था। चित्रलेखा ने 2003 में अपना पहला दिया किया। उन्होंने राष्ट्रीय मूल्यांकन और प्रत्यायन परिषद की यात्रा से पहले एक चिकित्सा इकाई स्थापित करने से पहले एक चिकित्सा इकाई स्थापित करने के लिए राजाबाजार कॉलेज को 50 हाजर रुपए का दान दिया था। चित्रलेखा ने 2008 में संन्यास लिया और 6 साल बाद अपना पहला बड़ा योगदान दिया।
इन जगहों पर दिया दान
चित्रलेखा ने कूच बिहार के माताभांगा कॉलेज के साथ रामकृष्ण मठ, रामकृष्ण मिशन सेवाश्रम, वृंदावन में 10 लाख, जादवपुर विश्वविद्यालय में 56 लाख का रुप का योगदान दिया।
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