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बहादुरी को सलाम: 24 वर्षीय महिला महाश्वेता चक्रवर्ती, जो यूक्रेन युद्ध से बचा लाईं 800 जिंदगियां

  • Edited By Anjali Rajput,
  • Updated: 16 Mar, 2022 12:15 PM
बहादुरी को सलाम: 24 वर्षीय महिला महाश्वेता चक्रवर्ती, जो यूक्रेन युद्ध से बचा लाईं 800 जिंदगियां

महिलाएं इन दिनों लगभग हर क्षेत्र में अपने पुरुष समकक्षों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रही हैं। वहीं, जब यूक्रेन के युद्ध क्षेत्र से भारतीय छात्रों को निकालने की बात आई तो महिलाएं सबसे आगे कैसे नहीं हो सकतीं। सोशल मीडिया इन दिनों कोलकाता की एक 24 वर्षीय महिला पायलट की कहानी खूब वायरल हो रही है, जिसने यूक्रेन युद्ध के बीच 800 से अधिक छात्रों को घर वापिस भेज दिया था।

सोशल मीडिया पर वायरल हुई महाश्वेता

दरअसल, भाजपा महिला मोर्चा ने युवा बहादुर पायलट की कहानी सोशल मीडिया पर शेयर की। उन्होंने ट्वीट में कहा गया, "कोलकाता की 24 वर्षीय पायलट महाश्वेता चक्रवर्ती ने यूक्रेन, पोलैंड और हंगरी की सीमा से 800 से अधिक भारतीय छात्रों को बचाया। उनके लिए बहुत सम्मान।"

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कौन हैं महाश्वेता चक्रवर्ती?

महाश्वेता चक्रवर्ती, पश्चिम बंगाल राज्य भाजपा महिला मोर्चा की अध्यक्ष व एसआईसी तनुजा चक्रवर्ती की बेटी हैं। 24 वर्षीय पायलट, कोलकाता की रहने वाली महाश्वेता को एविएशन सेक्टर में 4 साल का अनुभव है। 

स्टूडेंट्स को बचाने के लिए भरी 6 उड़ानें

महाश्वेता ने युद्ध प्रभावित यूक्रेन में फंसे सैकड़ों भारतीय छात्रों को वापस लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने 800 से अधिक छात्रों को उनके घर पहुंचाने के लिए 6 उड़ानें भरीं। रूस ने 24 फरवरी को 'विशेष सैन्य अभियान' के तहत यूक्रेन पर आक्रमण करने के तुरंत बाद 27 फरवरी से 7 मार्च उन्हें बचान अभियान शुरू कर दिया था।

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एक दिन में उड़ाया 13-14 घंटे एयरबस A320

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, महाश्वेता एक दिन में 13 से 14 घंटे एयरबस ए320 उड़ान भरकर छात्रों को भारत वापिस लाईं। उनका कहना है कि उन्हें देर रात उनकी एयरलाइंस से फोन आया और बताया गया कि उन्हें बचाव अभियान के लिए चुना गया है। वह कहती है कि उसने 2 घंटे में अपना बैग पैक किया और बचाव अभियान के लिए निकल गई।

महामारी के दौरान विदेशों से ऑक्सीजन सांद्रक उड़ाए

बता दें कि वह कोरोना महामारी के दौरान वंदे भारत मिशन का भी हिस्सा रहीं है। उस दौरान उन्होंने विदेशों से ऑक्सीजन सांद्रक को पुणे से कोलकाता और अन्य हवाई अड्डों के लिए टीके लेकर आई थीं। वह इंदिरा गांधी राष्ट्रीय उड़ान अकादमी से स्नातक हैं। यही नहीं, वह ऑपरेशन गंगा का भी हिस्सा रह चुकी हैं।

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