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सावन के महीने से जुड़ी हैं ये पौराणिक कथाएं, जानें इसका महत्व

  • Edited By Manpreet Kaur,
  • Updated: 17 Jul, 2024 01:14 PM
सावन के महीने से जुड़ी हैं ये पौराणिक कथाएं, जानें इसका महत्व

नारी डेस्क: सावन के महीने का भारतीय हिंदू पंचांग के अनुसार विशेष महत्व और प्रासंगिकता रखता है। यह मास विशेषतः भगवान शिव को समर्पित होता है और हिंदू समुदाय में भक्ति और आध्यात्मिकता के माहौल को उत्तेजित करता है। श्रावण मास में भगवान शिव की कथाओं, उनके लीलाओं और महत्व के बारे में सुनना और पढ़ना, भक्ति और पूजा का विशेष दौर होता है। चलिए इसी के साथ जानते हैं सावन माह का महत्व और इससे जुडी कथा -

सावन महीने की कथा

भारतीय पौराणिक कथाओं में सावन के महीने का विशेष महत्व है। इस मास में भगवान शिव की भक्ति और पूजा का महत्व अत्यधिक होता है। इसके पीछे कुछ प्रमुख कथाएँ हैं जो इस माह के महत्व को समझाती हैं।

समुद्र मंथन:

श्रावण मास की कथा में सबसे प्रमुख है समुद्र मंथन की कथा। इस कथा के अनुसार, देवता और असुर समुद्र मंथन करने के लिए मिलते हैं। मंथन के दौरान हलाहल विष निकलता है जो सभी को भयभीत कर देता है। इस संकट को दूर करने के लिए भगवान शिव हलाहल को अपने गले में निगल लेते हैं, जिससे उनका गला नीला हो जाता है और उन्हें 'नीलकंठ' कहा जाता है। इस प्रकार, शिव ने सभी को सुरक्षा प्रदान की और मानवता को अपनी कृपा से आशीर्वाद दिया।

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कथा मार्कण्डेय पुराण से:

इस पुराण में बताया गया है कि भगवान शिव के विशेष अनुग्रह से सावन के महीने में उनकी पूजा और अर्चना का विशेष महत्व है। इस माह में शिव भक्ति में लगे रहने से व्यक्ति के सभी कष्ट दूर होते हैं और उन्हें उनकी कृपा प्राप्त होती है।

शिवरात्रि:

श्रावण मास में आने वाली शिवरात्रि भगवान शिव की विशेष पूजा का समय होती है। इस दिन भगवान शिव की अर्चना, पूजा और व्रत बड़ी श्रद्धा और भक्ति से की जाती है और उनकी कृपा प्राप्ति के लिए प्रार्थना की जाती है।

इसी श्रावण मास में भगवान शिव की पूजा-अर्चना का विशेष महत्व होता है और लोग इसे भक्ति और पूजा के साथ मनाते हैं। यह मास हिंदू धर्म में शिव भक्ति का महीना माना जाता है और इसके दौरान विशेष परंपराओं का पालन किया जाता है जो सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण होता है।

1. धार्मिक महत्व

श्रावण मास हिंदू पंचांग के अनुसार विशेष महत्वपूर्ण है। इस मास में भगवान शिव को समर्पित कई पावन पर्व होते हैं। लोग इस महीने में शिवलिंग की पूजा, अर्चना, और शिवरात्रि के विशेष उत्सव करते हैं। श्रावण में भगवान शिव के गुणगान, मंत्र जप, और भक्ति में लोग अधिक समर्थ रहते हैं।

2. उपवास

श्रावण में सोमवार का उपवास विशेष माना जाता है क्योंकि सोमवार भगवान शिव का दिन माना जाता है। लोग इस दिन व्रत रखते हैं और शिवलिंग की पूजा करते हैं। यह उपवास भक्ति और अनुशासन की भावना को बढ़ाता है और श्रावण मास के महत्व को अधिकतर महसूस करवाता है।

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3. पूजा-अर्चना

श्रावण मास में भगवान शिव को अराधना करने से मान्यता है कि भक्त की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। भक्त शिवलिंग के आगे दीपक, धूप, फल, फूल आदि अर्पित करते हैं और मंत्रों का जाप करते हैं।

4. मंदिरों में भीड़

श्रावण मास के दौरान मंदिरों में भक्तों की भीड़ बढ़ती है। लोग सुबह-सुबह शिव मंदिर जाते हैं और शाम को भी प्रार्थना करने आते हैं। मंदिरों में इस महीने के दौरान धार्मिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं जो भक्तों की भावना को स्थायी बनाए रखते हैं।

5. सांस्कृतिक अनुष्ठान

श्रावण मास के दौरान सांस्कृतिक अनुष्ठान भी अधिक प्रमुख होते हैं। इस महीने में लोग धार्मिक गाने गाते हैं, कथा सुनते हैं और समाज में सांस्कृतिक उत्सव का आयोजन करते हैं जो समुदाय के साथ अच्छे संबंध और एकता को बढ़ाते हैं।

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6. धार्मिक परंपराएँ

श्रावण मास के दौरान लोग अपनी परंपराओं और संस्कृति को भी महत्व देते हैं। पुरानी कहानियाँ, परंपरागत अनुष्ठान और समर्थ रहते हैं जो धार्मिक जीवन को समृद्ध करते हैं।

इन सभी कारणों से श्रावण मास हिंदू समाज में एक विशेष और पावन मास माना जाता है जो भक्ति और सांस्कृतिक उत्सव के रूप में मनाया जाता है।

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