आजकल की भागदौड़ वाली जिंदगी, रोजमर्रा का स्ट्रेस और अनहेल्दी लाइफस्टाइल के चलते हार्ट पर बहुत बुरा असर पड़ रहा है। हाई बीपी और कोलेस्ट्रॉल के चलते हार्ट में ब्लड फ्लो ब्लॉक हो जाता है। इसी समस्या के चलते महिलाओं को तेजी से हार्ट अटैक की समस्या बढ़ रही है। रिपोर्ट्स की मानें तो 18 से 55 साल की महिलाओं को हार्ट अटैक का खतरा ज्यादा रहता है। बता दें, महिलाओं का हार्ट कमजोर होने पर से संकेत देने लगता है। ऐसे में जरूरी है कि उन लक्षणों को समझकर हार्ट अटैत से बचाव की कोशिश की जाए। महिलाओं में हार्ट अटैक के कुछ रिस्क फैक्टर्स और लक्षणों के बारे में जान लेते हैं।
महिलाओं में हार्ट अटैक के रिस्क फैक्टर्स
मेनोपोज
वहीं मेनोपोज भी महिलाओं में हार्ट संबंधी परेशानी पैदा करता है। रिपोर्ट्स की मानें तो 50 साल से ज्यादा उम्र की महिलाओं में हार्ट अटैक से होने वाली मौत का खतरा ज्यादा रहता है। बॉडी वेट बढ़ाना, एक्सरसाइज की कमी, स्मोकिंग और प्रोसेस्ड फूड का सेवन भी हार्ट अटैक का खतरा बढ़ा सकता है।
हाई कोलेस्ट्रॉल
एक्सपर्ट्स की मानें तो एस्ट्रोजन महिलाओं को हाई- कोलेस्ट्रॉल से बचाता है। लेकिन मेनोपॉज के बाद इसकी मात्रा कम हो जाती है और कोलेस्ट्रॉल बढ़ जाता है। कोलेस्ट्रॉल बढ़ाने से हार्ट अटैक आ सकता है।
हाई ब्लड प्रेशर
महिलाओं में प्रेग्नेंसी के दौरान ब्लड प्रेशर बढ़ाना आम बात है, जो हॉर्ट अटैक की वजह बन सकता है। इसके अलावा महिलाओं द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली बर्थ कंट्रोल पिल्स लेने से हार्ट पर नेगेटिव असर पड़ता है।
मेंटल प्रॉब्लम
स्ट्रेस, डिप्रेशन और एंजाइटी भी महिलाओं में हार्ट अटैक का कारण बनता है। इसके अलावा कुछ मेंटल डिजीज भी इसे प्रभावित करती हैं।
कैंसर या किडनी फेलियर
मोटापे और डायबिटीज की समस्या आज आम है जो हार्ट अटैत की अहम वजह बनती है। ऐसे में कैंसर या किडनी फेलियर जैसी स्थिति से हार्ट अटैक का खतरा बढ़ा सकती है।
महिलाओं में ऐसे दिखते हैं हार्ट अटैक के लक्षण
- मतली
- उल्टी
- जबड़ों, गर्दन या पीठ के ऊपरी हिस्से में दर्द
- छाती के निचले हिस्से या पेट में दर्द
- सांस की तकलीफ
- बेहोशी
- अपच
- थकान
इसके अलावा नींद की समस्या, एंग्जाइटी, चक्कर आना, अपच, गैस बनने के लक्षण भी दिख सकते हैं।