कोरोना वायरस का कहर अभी भी खत्म नहीं हुआ, दरअसल, अब खबर सामने आ रही हैं कि भारत में तीसरी लहर की भी शुरूआत हो चुकी है। जिसके चलते मणीपुर में लाॅकडाउन भी लगा दिया गया है। कोरोना वायरस का खौफ इस लिए भी लोगों पर ज्यादा है कि क्योंकि यह सीधे हमारे फेफड़े पर हमला करता है, जो कि शरीर का बेहद महत्वपुर्ण अंग है जिसके द्वारा हम सांस लेते हैं। कोरोना की दूसरी लहर के दौरान हमने देखा था कि वायरस के हमले से कई मरीजों के फेफड़े 90 फीसदी तक खराब हो गए थे, ऐसे में डॉक्टरों की चिंता बढ़ गई थी कि इन फेफड़ों में लंग फाइब्रोसिस नाम की बीमारी हो सकती है।
बतां दें कि आमतौर पर ऐसी बीमारियों में फेफड़ों के टिशू खराब हो जाते हैं और फेफड़े काम करने बंद कर देते हैं। लेकिन इसी बीच एक नई स्टडी में पता चला है कि कोरोना के वो मरीज़ जिनके फेफड़े खराब हो गए थे वो 3 महीने में अपने आप से ठीक हो रहे हैं।
कोरोना से खराब हुए मरीजों के फेफड़े तीन महीनें बाद अपने आप हुए ठीक
एक अंग्रेजी अखबार से बातचीत करते हुए स्वस्थ विशेषज्ञ का कहना है कि स्टडी में पता चला है कि ज्यादातर मरीजों के फेफड़े बेहतर हो रहे हैं। इस स्टडी के शुरुआती नतीजे 'लंग इंडिया जर्नल' में छपे हैं। डॉक्टरने बताया कि ये स्टडी कोरोना के उन मरीजों पर की गई जिनके फेफड़े काफी खराब हो गए थे। उन्होंने कहा कितीन महीनों के बाद ज्यादातर मरीज़ों के फेफड़े के आकार और काम करने का तरीका काफी बेहतर हो गया है, और सभी मरीज़ों के लंग फंक्शन टेस्ट और सीटी स्कैन किए गए।
स्टडी में शामिल थे ये मरीज
बतां दें कि ये नई स्टडी कोरोना के 42 मरीजों पर की गई थी यह सभी वह मरीज थे जिन्हें एंटीवायरल रेमडेसिवीर इंजेक्शन और स्टेरॉयड दिए गए थे। इसके अलावा साथ ही इन्हें खतरनाक स्तर का निमोनिया भी हुआ था। वहीं अब तक इस स्टडी के तहत 300 लोगों पर नज़र रखी गई है। कुछ लोगों को कोरोना होने के एक साल बाद तक भी फॉलो किया गया।