देशभर में 14 नवंबर को बाल दिवस मनाया जाता है। इस दिन देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की जयंती होती है। मगर क्या आप जानते हैं कि विश्व बाल दिन 14 नहीं बल्कि 20 नवंबर को मनाया जाता है। इसे सबसे पहले साल 1954 में मनाया गया था। यह दिन बाल अधिकारों को समर्पित है। इस अधिकारों में सबसे प्रमुख अधिकार जीवन जीने का अधिकार, संरक्षण का अधिकार, सहभागिता का अधिकार और विकास का अधिकार माने गए हैं। चलिए जानते हैं विश्व बाल दिवस का इतिहास, महत्व व थीम के बारे में...
बच्चे ही हमारा भविष्य
बच्चे ही हमारा भविष्य हैं। इसलिए हमें इस बात को सुनिश्चित करना होगा की वे सेहतमंद और बेहतर जीवन बीता पाएं। इसके साथ ही उन्हें वे सब अधिकार मिल पाएं। ताकि वे आने वाले जीवन में स्वस्थ समाज और संसार का हिस्सा बन सके। वहीं अगर बच्चों को उनके अधिकार नहीं मिल पाएंगे तो वे बेहतर दुनिया का निर्माण नहीं कर पाएंगे।
यूनिवर्सल चिल्ड्रन का महत्व
20 नवंबर 1954 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने बाल अधिकारों घोषणा को अपना लिया था। इस दिन को ‘अंतर्राष्ट्रीय बाल अधिकार दिवस’, ‘सार्वभौमिक बाल दिवस’ और’ बचपन दिवस’ भी कहा जाता है। इसके साथ ही संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा निर्धारित किए मापदंड को दुनिया के 191 देशों ने स्वीकार कियाऔर बच्चों के अधिकारों के प्रति अपनी जागरूकता बताई।
यूनिवर्सल चिल्ड्रन का इतिहास
1954 अंतर्राष्ट्रीय बाल अधिकार दिवस की स्थापना की गयी थी। इस दिवस की परिकल्पना वि. के. कृष्णा मेनन ने दी थी। इसे मनाने का उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय एकजुटता, बच्चों के प्रति जागरूकता और बच्चों के कल्याण को बढ़ावा देना है। ऐसे में 20 नवंबर को एक महत्वूपर्ण दिन के तौर पर मनाया जाता है। दरअसल 1959 में आज (20 नवंबर) ही के दिन संयुक्त राष्ट्र की जनरल असंबली ने बाल अधिकारों की घोषणा की थी। वहीं यह दिन और भी महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि 1989 में इसी दिन संयुक्त राष्ट्र ने बाल अधिकारों पर हुए सम्मेलन के सुझावों को अपना लिया था।
इन देशों में अलग-अलग दिन मनाया जाता बाल दिवस
कई देशों में विश्व बाल दिवस 1 जून मनाया जाता है। वहीं, चीन में 4 अप्रैल, पाकिस्तान में 1 जुलाई, अमेरिका में जून के दूसरे रविवार को यह दिन मनाया जाता है। इसके साथ ही ब्रिटेन के लोग 30 अगस्त, दक्षिण कोरिया और जापान में इसे 5 मई, नेपाल और जर्मनी में 20 सितंबर को मनाया जाता है।
इस साल की थीम
बीते 2 सालों से दुनियाभर में कोरोना के कहर से जूझ रही है। इस महामारी के साथ लॉकडाउन और अन्य आर्थिक समस्याओं के कारण लोगों को कई मानसिक और आर्थिक परेशानियां भी झेलनी पड़ी। इसका बुरा असल बच्चों पर भी पड़ा। इस बार विश्व बाल दिवस पर संयुक्त राष्ट्र ने “हर बच्चे के लिए बेहतर भविष्य” की थीम रखी है। वेबसाइट संस्था अनुसार बच्चे अपनी पीढ़ी के मुद्दों पर आवाज उठा रहे हैं। इसके साथ ही व्यस्कों से बेहतर भविष्य निर्माण की मांग भी कर रहे हैं। ऐसे में दुनिया के इस महामारी से उबरने के वक्त जरूरी है कि हम सब उनको सुनें।