चैत्र नवरात्री का पर्व हिंदू धर्म में बहुत खास होता है जो हर साल शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होते हैं। इस दिन माता के लिए कलश स्थापना की जाती है। वहीं, मां दुर्गा का आशीर्वाद पाने के लिए भक्त नौ दिनों तक देवी दुर्गा के इन नौ अवतारों की पूजा करते हैं। माना जाता है कि जो लोग नवरात्रि के दौरान मां भगवती की पूजा, उपवास और मंत्रों का जाप करते हैं, उनके जीवन में समृद्धि, स्वास्थ्य और ज्ञान की प्राप्ति होती है।
पूजा-व्रत के साथ-साथ नवरात्री में मां की सवारी का भी बहुत महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मां दुर्गा नवरात्रि के समय हर साल किसी न किसी वाहन पर सवार होकर आती हैं और किसी दूसरे वाहन पर सवार होकर लौटती हैं। चलिए आपको बताते हैं कि इस बार मां की सवारी क्या होगी...
दिन के आधार पर तय होता है मां का वाहन
इस साल चैत्र नवरात्री में मां घोड़े पर सवार होकर आएंगी। अगर नवरात्र सोमवार या रविवार से शुरू होते तो मां हाथी पर सवार होकर आती। वहीं, शनिवार या मंगलवार से नवरात्र शुरू होने पर मां का वाहन घोड़ा और गुरुवार या शुक्रवार से शुरू होने पर डोली होती है। नवरात्र बुधवार से आरंभ हो तो मां नाव पर सवार होकर आती है।
किस वाहन का क्या असर
देवी भागवत पुराण में एक श्लोक "शशिसूर्ये गजारूढ़ा शनिभौमे तुरंगमे। गुरौ शुक्रे चदोलायां बुधे नौका प्रकीर्त्तिता ।।" के जरिए इसका अर्थ बताया गया है।
श्लोक के अर्थात जब मां हाथी पर सवार होकर आती हैं तो पानी ज्यादा बरसता है। वहीं, घोड़े पर सवार होकर आती हैं तो युद्ध की आशंका रहती है। नौका पर सवार होकर आने का संकेत शुभ और फलदायी होता है। वहीं, अगर मां डोली में बैठकर आती हैं तो महामारी, संहार की संभावना रहती है। साल 2022 के चैत्र नवरात्र में माता रानी घोड़े पर सवार होकर आ रही हैं। आप जानते ही हैं कि इस समय रूस और यूक्रेन के बीच भयंकर युद्ध हो रहा है, जिसके कारण कई देशों को तकलीफें हो रही हैं।
मां के प्रस्थान के वाहन हैं अलग
मां के आगमन ही नहीं बल्कि प्रस्थान का वाहन भी अलग-अलग होता है। इस बार नवरात्री सोमवार के दिन खत्म हो रहे हैं, जिसका मतलब है कि देवी भैंसे पर सवार होकर गमन करेंगे। देवी भागवत पुराण में कहा गया है-
शशि सूर्य दिने यदि सा विजया महिषागमने रुज शोककरा।
शनि भौमदिने यदि सा विजया चरणायुध यानि करी विकला।।
बुधशुक्र दिने यदि सा विजया गजवाहन गा शुभ वृष्टिकरा।
सुरराजगुरौ यदि सा विजया नरवाहन गा शुभ सौख्य करा॥
. रविवार या सोमवार को देवी भैंसे पर सवार होकर धरती से प्रस्थान करती हैं, जिसका मतलब है कि देश में रोग और शोक बढ़ेगा।
. मां शनिवार या मंगलवार को मुर्गे पर सवार होकर जाती हैं, जिससे दुख और कष्ट की वृद्धि होती है
. बुधवार या शुक्रवार को देवी हाथी की सवारी पर जाती है, जिससे बारिश ज्यादा होने की आशंका रहती है।
. वहीं, अगर मां गुरुवार को मनुष्य की सवारी से गमन करती है, जो सुख और शांति की वृद्धि का संकेत होता है।