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पितर विसर्जन अमावस्या: इस विधि से दें अपने पितरों को विदाई

  • Edited By neetu,
  • Updated: 15 Sep, 2020 12:41 PM
पितर विसर्जन अमावस्या: इस विधि से दें अपने पितरों को विदाई

भारत में हर साल पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध पक्ष मनाया जाता है। इस दिनों में पितरों को खुश करने के लिए उनके नाम से दान व पंडितों को भोजन करवाया जाता है। इसतरह पितरों को खुश कर उनका आशीर्वाद लिया जाता है। इस साल यह पितर पक्ष 2 सितंबर से शुरू होकर 17 सिंतबर के बीच किया गया। इसके अंतिम दिन को सर्व पितृ अमावस्या कहा जाता है। इस दिन पूरी श्रद्धा व सच्चे मन से पितरों और भगवान की पूजा कर पितरों को विदाई दी जाती है। इन दिन पर भी पितरों के नाम पर भोजन व दान दिया जाता है। साथ ही उनसे खुशी- खुशी वापिस लौटने की प्रार्थना की जाती है। तो चलिए जानते हैं कि पितरों को विदा करने की तिथि, मुहुर्त व पूजा- विधि...

अश्विन अमावस्या मुहूर्त

अमावस्या तिथि दिन बुद्धवार 16 सितंबर 2020-  07:58:17 बजे से आरंभ होकर गुरूवार 17 सितंबर 2020 को 04:31:32 बजे पर समाप्त होगी।

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कहा जाता है कि वीरवार के दिन पितरों को विदा करना बेहद शुभ होता है। इस दिन विदा होने पर पितर खुश होने के साथ अपने परिवार वालों को आशीर्वाद देकर जाते है। गुरूवार का दिन भगवान श्रीहरि का होने के इस दिन उनकी विशेष रूप से पूजा की जाती है। ऐसे में सर्व पितृ अमावस्या के दिन पितरों को पूरी विधि- विधान के साथ विदा करना चाहिए। मान्यता है कि जो लोग पूरी श्रद्धा व सच्चे मन से पितरों को पूजा करके विदा करता है। उनके घर-परिवार में हमेशा खुशियां बरकरार रहती है। उनके पितर उनसे खुश हो उनपर अपनी कृपा बरसाते हैं। साथ ही पितरों के खुश होने पर घर में मांगलिक कार्य होते हैं। 

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इस विधि से करें पितरों को विदा

- सर्व पितृ अमावस्या के दिन सुबह जल्दी उठकर नहाए और साफ कपड़े पहनें। 
- उसके बाद बिना लहसुन, प्याज का सात्विक भोजन तैयार कर पितरों के नाम से पंडितों को खाना खिलाएं। 
- शाम के समय में आटे से चौमुखा दीपक बना कर उसमें सरसों का तेल डालकर जलाए और उसे घर की चौखट कर रखें।
- एक लोटे में पानी भरकर अपने पितरों को सच्चे मन से याद कर उन्हें आशीर्वाद देने के लिए प्रार्थना करें। साथ ही उन्हें खुशी- खुशी परलोक वापिस जाने की प्रार्थना करें। 
- अब एक घी का दीपक और जल का भरा लोटा लेकर भगवान विष्णु जी का नाम लेते हुए उनकी पूजा करें। 
- उसके बाद श्रीहरि का नाम जपते हुए वृक्ष पर जल चढ़ाकर दीया जलाए। साथ ही पितरों से भी अपने मंगलमंय जीवन की प्रार्थना करें। 

इस बात का विशेष ध्यान रखें कि पितरों का विसर्जन करते समय बिल्कुल भी किसी से बात न करें। ये सारी पूजा विधि खत्म होने के बाद ही कुछ बोले। 

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