बॉलीवुड एक्ट्रेस कल्कि कोचलिन ने हाल ही में एक सुदंर बेटी को जन्म दिया, जिसका नाम उन्होंने सैफो (Sappho) रखा है। वहीं कल्कि ने इंस्टाग्राम पर अपनी बेटी और अपने ब्वॉयफ्रेंड गाय हर्शबर्ग (Guy Hershberg) के साथ कुछ तस्वीरें भी शेयर की है, जिसके साथ उन्होंने बेहद इमोशनल मैसेज लिखा है।
पहले कल्कि ने बेटी के पांव के निशान वाली एक तस्वीर पोस्ट की, जिसके साथ उन्होंने कहा, 'आप सभी सैफो का स्वागत कीजिए। 07/02/20 को इसका जन्म हुआ। इसने मेरे गर्भाशय में 9 महीने ऐसे गुजारे हैं, जैसे मोमो। इसे इसकी जगह देते हैं। आप सभी की शुभकामनाओं और पॉजिटिव एनर्जी का शुक्रिया।'
इसके बाद उन्होंने अपनी बेटी और अपने बॉयफ्रैंड गाय हर्शबर्ग के साथ तस्वीरें शेयर करते हुए लिखा, 'मैं ट्यूलिप वुमेन केयर की पूरी टीम और डॉक्टरों से मेरे @docsheetalsabharwal और @drrvpunjabi के लिए आभारी हूं, जिन्होंने 17 घंटे बाद भी मुझे थकने पर मना कर दिया, जब मैं इतनी थक गई थी तो उन्होंने मुझे हिम्मत दी और कहा, आप कर सकती हैं, हम आपकी वॉटर डिलीवरी करने जा रहे हैं और एक घंटे बाद सैफो का जन्म हुआ। आप लोग मैजिकल डॉक्टर्स हैं।'
बता दें कि कल्कि ने वाटर बर्थ के जरिए अपनी बेटी को जन्म दिया, जिसका खुलासा उन्होंने अपने इंस्टाग्राम हैंडल के किया। हालांकि डिलीवरी के 5वें महीने ही कल्कि ने यह कहा था कि वो वॉटर बर्थ तकनीक के जरिए बच्चे को जन्म देना चाहती हैं क्योंकि उनकी मां ने भी ऐसा ही किया था। यही नहीं, उन्होंने इसकी तैयारी भी कई महीने पहले ही शुरू कर दी थी। इसके लिए उन्होंने ना सिर्फ स्वस्थ लाइफस्टाइल को फॉलो किया बल्कि मोबाइल फोन का यूज भी बंद कर दिया था। यही नहीं, स्ट्रेस फ्री रहने के लिए कल्कि गाने सुनती थी, सुबह वॉक व योगा करती थीं।
चलिए आपको बताते हैं कि क्या है वॉटर बर्थ तकनीक (पानी में बच्चे को जन्म देना) और कैसे यह नॉर्मल व सिजेरियन से ज्यादा फायदेमंद है...
क्या है वॉटर बर्थ तकनीक?
अब भारतीय महिलाएं भी बच्चे को जन्म देने के लिए वॉटर बर्थ तकनीक का सहारा ले रही हैं लेकिन पहले इसका चलन सिर्फ विदेश में ही थी। यह तकनीक इसलिए अलग है क्योंकि इसमें महिला पान में बैठकर प्रसव की प्रक्रिया पूरी करती है। इसके लिए बॉथ टब में गुनगुना पानी डाला जाता है, जिसमें बैठकर महिला बच्चे को जन्म देती है। खास, बात यह है कि ये प्रक्रिया अस्पताल व घर दोनों जगह की जा सकती है।
कम होता है दर्द
नॉर्मल डिलीवरी के मुकाबले महिलाओं को इस तकनीक में दर्द कम होता है। वहीं इसमें सिजेरियन की तरह कोई टांके भी नहीं लगते। हालांकि इसे डॉक्टर्स खास सावधानी बरततें है, ताकि बच्चे को कोई नुकसान ना हो।
वाटर बर्थ के फायदे
-इसमें प्रसव के दौरान महिलाओं को कम दर्द झेलना पड़ता है क्योंकि गर्म पानी पेनकिलर की तरह काम करता है।
-इसमें प्रसव पीड़ा को प्रेरित करने की जरूरत नहीं पड़ती।
-इस तकनीक से बच्चे का जन्म कम समय में हो जाता है और महिलाओं को कोई दवा लेने की जरूरत नहीं।
-गर्म पानी मांसपेशियों को आराम देता है और ऑक्सीटोसिन को बढ़ाता है। इससे डिलीवरी बहुत जल्दी हो जाती है।
होते हैं कुछ नुकसान भी...
-जरा-सी चूंक बच्चे को नुकसान पहुंचा सकती है।
-इससे बच्चे को इंफैक्शन का खतरा भी होता है।
-कुछ मामलों में, गर्भनाल टूटने का डर रहता है, जो बच्चे के लिए सही नहीं है।
-कई बार बच्चे के शरीर का तापमान बढ़ जाता है, जिससे उसे सांस लेने में परेशानी व बुखार हो सकता है।
अगर आप भी वॉटर बर्थ तकनीक के जरिए बच्चे को जन्म देना चाहती हैं तो घबराए नहीं। साथ ही किसी एक्सपर्ट की मदद से ही यह तकनीक अजमाएं। साथ ही हैल्दी डाइट, व्यायम और स्वस्थ जीवनशैली को फॉलो करें, जैसा की कल्कि ने किया।