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बांझ औरतों के लिए वरदान है IVF ट्रीटमेंट, समझिए पूरा प्रोसेस

  • Edited By Anjali Rajput,
  • Updated: 23 Jan, 2020 06:01 PM
बांझ औरतों के लिए वरदान है IVF ट्रीटमेंट, समझिए पूरा प्रोसेस

मां बनना किसी वरदान से कम नहीं है लेकिन बांझपन या किसी ओर वजह से कुछ महिलाएं इस सुख से वंचित रह जाती हैं। हालांकि अब ऐसे कई ट्रीटमेंट मौजूद है, जिससे महिलाओं अब आसानी से मां बन सकती हैं, जिसमें से एक है आईवीएफ ट्रीटमेंट (IVF)। इसी सिलसिले में डॉक्टर समीत से बात की गई। चलिए जानते हैं क्या है यह ट्रीटमेंट और महिलाओं के लिए कैसे है फायदेमंद...

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बांझ औरतों का पहला कदम

सबसे पहले तो महिलाओं को किसी काबिल डॉक्टर के पास जाना चाहिए और पता करना चाहिए कि उनके बांझपन का कारण क्या है। अगर यूट्रस की बनावट में प्रॉब्लम या फ्राइब्राइड्स है तो उसे ठीक किया जा सकता है फ्राइब्राइड रिमूवल करके। वहीं अगर ट्यूब्स में कोई ब्लॉकेज है तो खोलकर ठीक किया जा सकता है। वहीं ओवरी में सिस्ट या कोई और प्रॉब्लम है तो उसे भी ठीक किया जा सकता है।

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कई बार इस प्रॉब्लम के बाद भी महिलाएं मां नहीं बन पाती। ऐसे में उन्हें आईयूआई (IUI), आईवीएफ (IVF) दिया जाता है।

क्या है आईयूआई ट्रीटमेंट

IUI यानि इंट्रायूटेरिन इनसेमिनेशन तकनीक के बारे में भी जो आईवीएफ से ज्यादा सरल प्रक्रिया है। आई यू आई एक आसान फर्टिलिटी ट्रीटमेंट है जो बिना प्रजनन दवाइयों के किया जाता है। इसमें पुरुष के शुक्राणुओं को साफ कर सीधा प्लास्टिक की पतली कैथेटर ट्यूब के जरिए महिला के गर्भाश्य में इंजेक्ट कर दिए जाते हैं लेकिन इसमें महिला को पहले ही अंडे उत्पादन के लिए प्रजनन दवाइयों का सेवन होता है ताकि भ्रूण बन सके।

क्या है आईवीएफ ट्रीटमेंट

IVF यानि इन विट्रो फर्टिलाइजेशन ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें महिलाओं के गर्भाशय में दवाइयों व इंजैक्शन की मदद से एक से अधिक अंडे बनाए जाते हैं। फिर सर्जरी के जरिए अंडों को निकाला जाता है और अल्ट्रासाउंड का यूज कर अंडे लैब में पति के शुक्राणुओं (स्पर्म) के साथ मिलाकर फर्टिलाइजेशन के लिए 2-3 दिन तक रखा जाता है। फिर इसे महिला के गर्भ में इम्प्लांट किया जाता है। इम्प्लांटेशन के 14 दिनों बाद ब्लड या प्रेगनेंसी टेस्ट के जरिए इसकी सफलता का पता लगाया जाता है।

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जानिए सच, IVF बच्चा कपल का अपना या नहीं

कुछ लोग समझते हैं कि आईवीएफ प्रक्रिया में बच्चा आपका नहीं होता लेकिन यह बहुत गलत धारणाएं हैं। इसमें अंडा पत्नी और शुक्राणु पति के ही होते हैं। हां, कई कपल होते हैं जिनमें एग या स्पर्म नहीं बनते, जिसमें डोनेट की जरूरत पड़ती है।

कितना पेनफुल है IVF ट्रीटमेंट 

कई महिलाओं को लगता है कि यह दर्दनाक ट्रीटमेंट है जबकि ऐसा नहीं है। बेशक इस ट्रीटमेंट में इंजेक्शन का इस्तेमाल किया जाता है लेकिन यह बिल्कुल भी पेनफिल नहीं है।

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कितने समय में बन सकती हैं मां?

IVF में अंडे इंप्लांट करने के 12-14 दिन बाद टेस्ट किया जाता है, जिसमें इसकी सफल का पता चलता है। इस प्रक्रिया से महिला के मां बनने के संभावना करीब 70% तक होती है। कई बार इस प्रक्रिया से जुड़ा बच्चे भी हो जाते हैं क्योंकि इसमें गर्भाशय में एक से अधिक अंडे बनाए जाते हैं।

IVF के बाद महिला बरतें कौन-सी सावधानियां

आईवीएफ ट्रीटमेंट में महिलाओं को पहले ही सारी बातें समझा दी जाती है और किसी भी खास तरह के परहेज की जरूरत नहीं होता। बस अपनी दवाइयां समय लेनी होती है। इसमें आपको किसी तरह के बैड रेस्ट की भी जरूरत नहीं होती।

क्या IVF ट्रीटमेंट के साइड इफेक्ट्स होते हैं।

इस ट्रीटमेंट में इस्तेमाल होने वाले इंजेक्शन महिलाओं के लिए पूरी तरह से सुरक्षित हैं। सिर्फ महिलाएं ही नहीं, पुरुषों को दिए जाने वाले इंजेक्शन का भी कोई साइड-इफैक्ट नहीं होता।

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IVF के बाद भी ना हो प्रेग्नेंसी तो क्या करें?

अगर महिलाओं को आईवीएक के बाद भी बच्चा ना हो तो उन्हें आईसीएसआई (intracytoplasmic sperm injection) के जरिए मां बनाया जाता है। इस ट्रीटमेंट में सिंगल एग में सिंगल स्पर्म इंजेक्ट किया जाता है।

महिलाओं के लिए जरूरी मेसेज

इंफर्टिलिटी की समस्या से बचने के लिए अपने लाइफस्टाइल में थोड़े से बदलाव करें। सही खान-पान के साथ रोजाना एक्सरसाइज व आराम करें। साथ ही तनाव लेने से बचें। इसके अलावा अपने वजन को कंट्रोल में रखें।

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