बेटियों का अपने परिवार से रिश्ता बहुत ही अलग होता है। वैसे तो हर दिन बेटियों का ही होता है। लेकिन कई दिन स्पेशल बेटियों को समर्पित होते हैं। जैसे इंटरनेशनल डॉटर्स डे और डॉटर्स डे। हर साल सितंबर के चौथे रविवार के दिन इंटरनेशनल डॉटर्स डे मनाया जाता है। इस बार यह दिन कल यानी 25 सितंबर को मनाया जाएगा। यह दिन मनाने का उद्देश्य समाज और देश के विकास में बेटियों के अहम योगदान और उनकी अहमियत को याद करने के लिए मनाया जाता है। देश की बेटियां हमेशा अपने परिवार और समाज का नाम ऊंचा करती नजर आई है। परंतु आज भी समाज में उन्हें उनके कार्य के लिए सराहना और प्रोत्साहना नहीं मिली। ऐसे में बेटियों के प्रति प्यार, सम्मान और लगाव व्यक्त के लिए यह दिन मनाया जाता है। तो चलिए आपको बताते हैं कि इसकी शुरुआत कैसे हुई और यह दिन क्यों मनाया जाता है...
इस दिन का इतिहास
भले ही समाज आज आगे बढ़ रहा है किंतु देश के कई हिस्सों में आज भी लड़के और लड़कियों के बीच काफी अंतर समझा जाता है। पुरुषों के समाज में महिलाओं को एक बोझ समझा जाता है। महिलाओं को कई तरह के बेहतरीन अवसरों से दूर रखा जाता है। ऐसे भेदभाव को खत्म करने के लिए संंयुक्त राष्ट्र ने साल 20212 में इस दिन की शुरुआत की थी। संयुक्त राष्ट्र ने पहली बार 11 अक्टूबर 2012 को इंटरनेशनल डॉटर्स डे मनाया था। इसके बाद पूरी दुनिया में लोगों ने इस दिन को मनाने की शुरुआत की। हर देश ने बेटियों के लिए यह दिन समर्पित किया। सितंबर महीने के आखिरी रविवार को यह दिन मनाया जाता है।
डॉटर्स डे मनाने का महत्व
देश को लोगों की सोच बदलने और बेटियों के समाज में एक महत्वपूर्ण स्थान देने के लिए हर साल यह दिन मनाया जाता है। आज भले ही लोग कितनी ऊंचाईयों पर पहुंच गए हैं लेकिन बेटा और बेटी में फर्क अभी भी खत्म नहीं हुआ। देश के कई इलाकों में लोग कन्या शिशु के जन्म को अभिशाप और प्रताड़ना समझते हैं। इसी कारण देश में भ्रूण हत्या के मामले भी दिखाई देते हैं। ऐसे में समाज की यह जिम्मेदारी बनती है कि वह इस मानसिकता को जड़ से बदलने का प्रयास करे। बेटियों को कमजोरी नहीं बल्कि ताकत बनाने में मदद करे।
इस दिन का उद्देश्य
डॉटर्स डे को मनाने के उद्देश्य बेटियों को यह बताना है कि वह कितनी खास होती हैं। इसके अलावा बेटियों में अपने सम्मान के लिए जागरुकता बढ़ाने और जेंडर इक्वालिटी को प्रोत्साहित करने के लिए भी यह दिन मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का खास उद्देश्य यही है कि लड़कियों को लड़कों के जैसे समाज में समान अवसर मिल सकें।