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मथुरा की इन जगहों पर कण-कण में समाए श्रीकृष्ण, जन्माष्टमी पर जरूर जाएं घूमने

  • Edited By neetu,
  • Updated: 27 Aug, 2021 06:37 PM
मथुरा की इन जगहों पर कण-कण में समाए श्रीकृष्ण, जन्माष्टमी पर जरूर जाएं घूमने

श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव यानि जन्माष्टमी का पर्व इस साल 30 अगस्त को मनाया जाएगा। इस पावन त्योहार को देशभर में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। मथुरा ब्रजभूमि में इस पर्व की रौनक देखने लायक होती है। ऐसे में आज हम आपको ब्रजभूमि के ऐसे स्थानों के बारे में बताते हैं, जहां पर आप भगवान कृष्ण की लीलाओं का अनुभव कर सकते हैं। ऐसे में आपको ऐसा महससू होगा कि मानों कान्हा आपके आसपास ही है। चलिए जानते हैं इन पावन जगहों के बारे में...

यमुना

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, तीर्थराज प्रयाग यमुना के घाटों पर श्रीयमुना महारानी की देखरेख में श्रीकृष्ण की पूजा करते हैं। भगवान के धरती पर अवतार लेने के बाद उनके पिता वासुदेव उन्हें यमुना से होकर गोकुल छोड़कर आए थे। उस समय यमुना ने श्रीकृष्ण के चरणों को छूकर आशीर्वाद लिया था। माना जाता है कि यमुना नदी पर स्नान करने से पापों से मुक्ति मिलती है।

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गोवर्धन

भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं का अनुभव करने के लिए एक बार गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा जरूर करें। यह वहीं पर्वत है जिसे मुरलीधर ने अपनी छोटी उंगली से उठा लिया था। यहां पर आपको कान्हा की छोट-छोटी लीलाओं की जानकारी मिलेगी। इस पावन जगह पर हर समय भक्तिमय माहौल रहता है। इसके साथ ही यहां पर स्थापित कृष्ण व राधा कुंड पर भी परिक्रमा की जाती है।

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नंदरायजी का मंदिर

कहा जाता है कि यहां पर नंदराय जी का घर था। आज इस पावन जगह पर मंदिर स्थापित कर दिया गया है। ऐसेमें इस मंदिर के दर्शन करके आपको बाल गोपाल की लीलाओं का अनुभव होने के साथ उनके वहां विजामान होने का एहसास होगा। इसी जगह पर उनका सारा बचपन बिता था। ऐसे में आप भगवान श्रीकृष्ण के बारे में गहराई से जान पाओगे।

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निधिवन

हर कोई जानता है कि भगवान श्रीकृष्ण राधा रानी और गोपियों के साथ राजलीला करते थे। वे वृंदावन के निधिवन पर ही राजलीला रचाते थे। इस वन में एक मंदिर भी स्थापित है, जहां पर रोजाना कान्हा का श्रृंगार किया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस वन में इस मंदिर में राधा-कृष्ण जी विश्राम करते हैं। सुबह मंदिर का दरवाजा खुलने पर यहां दातुन गीली व बिस्तर फैला हुआ मिलता है। इसके साथ ही रोजाना रात के समय राधा-कृष्ण जी निधिवन में राजलीला करते हैं। ऐसे में इस वन में रात के समय कोई भी व्यक्ति या जानवर नहीं जा सकता है।

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काम्यवन

काम्यवन, मथुरा से करीब 50 किलो की दूरी पर बसा है। इसे कामां भी कहते हैं। कहा जाता है कि यहां पर थाल और कटोरी का चिन्ह बनी एक पहाड़ी है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, इसी जगह पर श्रीकृष्ण ने व्योमासुर असुर का वध किया था। भगवान परशुराम ने तपस्या की थी। इसके अलावा महाभारत काल में पांडवों ने भी यहां पर कुछ समय के लिए रुके थे। ऐसे में आप यहां पर जाकर भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं का अनुभव कर सकते हैं।

 

 

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