बढ़ती उम्र के कारण बच्चों में कई तरह के बदलाव आने लगते हैं। खासकर जैसे-जैसे बच्चे बड़े होते हैं वह अपने पेरेंट्स से दूर जाने लगते हैं। बच्चे क्या करते हैं किससे मिलते हैं और कहां जाते हैं इस बारे में पेरेंट्स को कुछ पता नहीं होता। अगर माता-पिता उन्हें पूछने की कोशिश भी करें तो भी वह कई बार जवाब नहीं देते।खासकर टीनएज अवस्था में आकर बच्चे में यह बदलाव दिखते हैं। इसके अलावा इस दौरान वह कई तरह के मानसिक और शारीरिक बदलावों से भी गुजर रहे होते हैं। यदि इस समय माता-पिता बच्चों पर ध्यान न दें तो उनके रिश्ते भी खराब होने लगते हैं और इसके अलावा बच्चे गलत रास्ते पर जाने लगते हैं। तो चलिए आज आपको बताते हैं कि टीनएज अवस्था के दौरान आप बच्चों के साथ रिश्ते कैसे मजबूत कर सकते हैं...
सुनें बच्चे की बात
टीनएज में आकर बच्चों को लगता है कि पेरेंट्स उनकी बात नहीं समझेंगे। ऐसे में अगर वह आपके पास अपनी कोई परेशानी लेकर आते हैं तो उसे जरुर सुनें। उनकी बात पूरी होने पर उन्हें समझाएं और सलाह दें। अगर वह खाना खाते हुए भी आपसे कोई बात शेयर करते हैं तो उसे सुनें उन्हें डराएं धमकाएं नहीं। इससे बच्चे आपको समझेंगे और आपके करीब रह पाएंगे।
अपने व्यवहार में भी लाएं बदलाव
बच्चों को आपसे बातें छुपाना अच्छा नहीं लगता लेकिन यह उनके बदलते हॉर्मोन्स के कारण हो सकता है। इसके अलावा हो सकता है कि उन्होंने आपसे पहले कोई बात की हो जिसके लिए आपने उन्हें डांट दिया हो इसलिए भी वह आपसे बातें छुपाएंगे। ऐसे में आप अपना उनके प्रति ज्यादा गुस्सैल स्वभाव बदलें। आप उनके ऊपर अपना पूरा विश्वास दोबारा से बनाएं। छोटी-छोटी बातों पर बच्चों को न डांटे। यदि आपको उनकी कोई गलती दिखती भी हो तो उन्हें प्यार से समझाने की कोशिश करें। ऐसा माहौल बनाएं कि बच्चे खुद आकर आपसे बात कर सकें।
जरुर दें आजादी
कई पेरेंट्स बच्चों की उम्र बढ़ने पर उनपर पाबंधियां लगानी शुरु कर देते हैं। इन सब के कारण बच्चों का स्वभाव भी चिड़चिड़ा होने लगता है। अगर आप उनके काम में दखल देंगे तो वह आपसे दूर भी होते जाएंगे। इसलिए उन्हें थोड़ी आजादी दें। दोस्तों के साथ समय बिताने दें। यदि आप उन्हें उनके अनुसार आजादी देंगे तो वह आपसे खुद बातें शेयर करेंगे और आपकी बात भी सुनेंगे।
खुद लेने दें फैसले
इस उम्र में आकर आप बच्चे को थोड़ा जिम्मेदार बनाएं। उन्हें अपनी जिंदगी के फैसले खुद लेने दें, अगर वह अपने हिसाब से जीना चाहते हैं तो उन पर कोई दबाव न डालें। लेकिन उन्हें सही गलत में फर्क बताएं। बच्चों पर इतना विश्वास बनाएं ताकि वह अपने सारे फैसले आपसे शेयर कर सके। एक पेरेंट्स ही होते हैं जो अपने माता-पिता को निडर और बहादुर बनाते हैं ऐसे में इस दौरान उनके फैसलों को समझें।
बने बच्चे के दोस्त
आप अगर चाहते हैं कि बच्चे बिना झिझके हुए आपसे अपने दिल की बात शेयर करें तो उन्हें समझें। उनकी जरुरतों को पूरा करें। इस उम्र में पेरेंट्स को किसी दोस्त की जरुरत होती है। ऐसे में आप उनके साथी बनें। आप उनमें शेयरिंग की आदत बढ़ाएं ताकि बच्चे आपसे अपने दिल की सारी बात कह पाएं। आप उनके दोस्त बनने की कोशिश करें। इस उम्र में उनका मार्गदर्शन करें। इससे वह आपके करीब आ पाएंगे।