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पार्क में खेलते-खेलते आया स्टूडेंट को Heart Attack, अब बच्चों को क्यों पड़ रहे दिल के दौरे?

  • Edited By Priya Yadav,
  • Updated: 27 Feb, 2025 06:24 PM
पार्क में खेलते-खेलते आया स्टूडेंट को Heart Attack, अब बच्चों को क्यों पड़ रहे दिल के दौरे?

 नारी डेस्क: हार्ट अटैक  के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं लेकिन जहां पहले उम्रदराज लोगों को ही दिल का दौरा पड़ता था, वहीं अब छोटे बच्चों को भी ये समस्या हो रही है। हाल ही में महाराष्ट्र में 14 साल के बच्चे को हार्ट अटैक आ गया वो भी उस समय जब वह स्कूल ट्रिप पर था। महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले स्थित इमेजिका थीम पार्क में यह एक दिल दहला देने वाली घटना घटी। नवी मुंबई नगर निगम स्कूल का 14 वर्षीय छात्र ट्रिप पर था जब उसे अचानक दिल का दौरा पड़ा और वह जमीन पर गिर पड़ा, जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई। यह घटना न केवल छात्रों और शिक्षकों के लिए सदमे की वजह बनी, बल्कि बच्चों में हार्ट अटैक जैसी गंभीर समस्याओं के बढ़ते मामलों पर भी सवाल खड़े करती है। आखिरकार, ऐसे कम उम्र के बच्चों में हार्ट अटैक के मामले क्यों बढ़ रहे हैं? क्या इसके पीछे लाइफस्टाइल, खानपान या अन्य कारण हैं? चलिए इसके पीछे की वजह जानते हैं। 

दिल का दौरा पड़ने से हुई आयुष की मौत

आठवीं कक्षा का छात्र आयुष धर्मेंद्र सिंह को खेलते समय ही अचानक बेचैनी महसूस हुई और वह एक बेंच पर बैठ गया, फिर अचानक ज़मीन पर गिर पड़ा। पार्क के कर्मचारियों और शिक्षक ने तुरंत उसे प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में पहुंचाया और बाद में एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।

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पुलिस अधिकारी ने बताया कि सरकारी चिकित्सा अधिकारी की मौजूदगी में पोस्टमार्टम किया गया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में पुष्टि हुई कि छात्र की मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई। इस दुखद घटना के बाद खालापुर पुलिस स्टेशन में आकस्मिक मृत्यु का मामला दर्ज किया गया है।

स्कूलों के लिए चेतावनी, बच्चों के स्वास्थ्य का ध्यान रखना जरूरी

डॉक्टरों का कहना है कि यह घटना स्कूलों के लिए एक चेतावनी है। बच्चों के साथ ट्रिप पर जाते समय उनकी सेहत का पूरा ध्यान रखना जरूरी है। डॉक्टरों ने यह भी सलाह दी कि बच्चों की मेडिकल हिस्ट्री की जानकारी होना और एक मेडिकल किट रखना बेहद जरूरी है। इसके अलावा, बच्चों को अधिक शारीरिक श्रम वाले खेलों में शामिल करने से पहले उनकी शारीरिक क्षमता का ध्यान रखना चाहिए।

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बच्चों में हार्ट अटैक के मामले क्यों बढ़ रहे?

आखिरकार, बच्चों में हार्ट अटैक के मामले क्यों बढ़ रहे हैं? इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं जिसमें लाइफस्टाइल, अनहैल्दी डाइट सबसे मुख्य है। 

अन हैल्दी डाइट

 अटैक के मामले बढ़ने का सबसे मुख्य कारण खराब अनहैल्दी डाइट है। बच्चे तैलीय, फास्ट फूड, जंक फूड और शक्करयुक्त खाद्य पदार्थों का सेवन ज्यादा करते हैं, जिससे शरीर में खराब कोलेस्ट्रॉल बढ़ता है और दिल की सेहत पर प्रतिकूल असर पड़ता है।

फिजिकल एक्टिविटी ना के बराबर

फिजिकल एक्टिविटी ना के बराबर होना भी बीमारियों को न्योता दे रहा है। बच्चों में शारीरिक गतिविधियों की कमी हो गई है। ज्यादा समय तक स्क्रीन के सामने बैठे रहना, वीडियो गेम खेलना, और शारीरिक खेलों से दूर रहना दिल की बीमारियों का कारण बन सकता है।

मानसिक तनाव और चिंता

बच्चों में मानसिक तनाव, स्कूल की पढ़ाई, परीक्षा का दबाव और व्यक्तिगत समस्याओं के कारण मानसिक दबाव बढ़ रहा है, जो दिल पर असर डाल सकता है।

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ज्यादा समय तक बैठकर काम करना

लंबे समय तक बैठकर पढ़ाई या स्क्रीन पर काम करने से बच्चों की सेहत पर बुरा असर पड़ता है। यह शारीरिक गतिविधियों की कमी को बढ़ाता है और दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ाता है।

ऑक्सीजन की कमी

बच्चों के शरीर में पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन नहीं पहुंचने से भी दिल की समस्याएं हो सकती हैं। खराब वायु गुणवत्ता और प्रदूषण भी दिल पर प्रभाव डाल सकते हैं।

पारिवारिक इतिहास

अगर किसी बच्चे के परिवार में दिल की बीमारियां या जीन संबंधी समस्याएं हैं, तो वह बच्चे भी दिल की समस्याओं के प्रति संवेदनशील हो सकते हैं। कुछ बच्चों में हार्ट अटैक और दिल की बीमारियों के लिए अनुवांशिक कारण भी हो सकते हैं, जो उन्हें जल्दी प्रभावित कर सकते हैं।

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सोशल मीडिया और लाइफस्टाइल प्रभाव

बच्चों और युवाओं पर सोशल मीडिया और ट्रेंड्स का ज्यादा प्रभाव पड़ता है, जिससे उनकी लाइफस्टाइल में बदलाव आते हैं, जैसे तनाव, नशे की आदतें और अन्य समस्याएं।

वायरल या बैक्टीरियल इंफेक्शन

कुछ मामलों में बच्चों को वायरल या बैक्टीरियल इंफेक्शन के कारण भी दिल की समस्या हो सकती है, जैसे कार्डियक अरेस्ट। इन सभी कारणों को ध्यान में रखते हुए यह जरूरी है कि बच्चों की सेहत का खास ध्यान रखा जाए और उनकी लाइफस्टाइल में बदलाव लाया जाए।

डिस्कलेमरः बच्चों में हार्ट अटैक के बढ़ते मामलों के बारे में अधिक स्टीक जानकारी आपको हार्ट स्पेशलिस्ट से मिल पाएगी। 
 

 

 

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