हिंदू धर्म के अनुसार, आषाढ़ महीने में पड़ने वाली पूर्णिमा का गुरु पूर्णिमा के रुप में मनाया जाता है। इस दिन चारों वेदों का ज्ञान रखने वाली महर्षि वेदव्यास जी का जन्म हुआ था। लोगों के प्रति उनका योगदान देखते हुए उनके जन्मोत्सव के रुप में गुरु पूर्णिमा के दिन को मनाया जाता है। आपको बता दें कि महर्षि वेद व्यास जी ने पहली बार मानव जाति को चारों वेदों का ज्ञान दिया था। इसलिए उन्हें पहले गुरु की उपाधि भी दी जाती है। इसके अलावा पूर्णिमा वाले दिन भगवान विष्णु की पूजा का भी खास महत्व होता है। इस बार गुरु कब है और आप इस दिन कैसे पूजा कर सकते हैं आज आपको इसके बारे में बताएंगे। तो चलिए जानते हैं...
पूजा का शुभ मुहूर्त
गुरु पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त 02 जुलाई रात 08:21 पर शुरु होगा और अगले दिन शाम 05:08 पर खत्म होगा। इसके अनुसार, गुरु पूर्णिमा 3 जुलाई को मनाई जाएगी।
भगवान विष्णु की पूजा का होता है खास महत्व
इस दिन सुबह उठकर पानी में गंगा जल डालकर स्नान करें। इसके बाद घर में दीप जलाएं और यदि हो सके तो इस दिन व्रत भी जरुर करें। सारे देवी-देवताओं को गंगा जल के साथ स्नान करवाएं। पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु की पूजा का भी विशेष महत्व होता है। भगवान विष्णु के साथ मां लक्ष्मी की पूजा करें। भगवान विष्णु को भोग लगाएं। इसके बाद उनके भोग में तुलसी शामिल करें। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, तुलसी के बिना भगवान विष्णु भोग नहीं लेते। इसके अलावा उन्हें सिर्फ सात्विक चीजों का ही भोग लगाएं। भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की आरती करें और दोनों का ध्यान करें।
महार्षि वेद व्यास की पूजा से मिलेगा लाभ
गुरु पूर्णिमा के दिन महर्षि वेद व्यास जी की पूजा अर्चना करें। इससे आपको विशेष फल मिलेगा। इसके अलावा इस दिन जिसे आप अपना गुरु मानते हैं उनका ध्यान करें। मान्यताओं के अनुसा, गुरु कृपा से जीवन आनंद से भर जाता है।
दोषों से भी मिलेगी मुक्ति
पूर्णिमा पर चंद्रमा जी की पूजा का भी विशेष महत्व होता है। ऐसे में चंद्रोदय होने के बाद चंद्रमा की पूजा जरुर करें। चंद्रमा को अर्घ्य दें इससे दोषों से मुक्ति मिलेगी। इस दिन जरुरतमंद व्यक्तियों की मदद करें। यदि आपके घर के पास गाय है तो उसे खाना खिलाएं। इससे कई तरह के दोष दूर होते हैं।