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गणेश मुद्रा: उंगलियों से बढ़ाए याददाश्त, अल्जाइर का खतरा भी होगा कम

  • Edited By Anjali Rajput,
  • Updated: 03 Jan, 2022 10:58 AM
गणेश मुद्रा: उंगलियों से बढ़ाए याददाश्त, अल्जाइर का खतरा भी होगा कम

योग एक प्राचीन और समग्र अभ्यास है जो तन और मन को स्वस्थ रखने में मदद करता है। स्वस्थ रहने के लिए एक्सपर्ट रोजाना मेडिटेशन, प्राणायाम या कई मुद्राओं का अभ्यास करने की सलाह देते हैं। हम भी आज आपको गणेश नमस्कार और गणेश मुद्रा के फायदे बताएंगे, जो कई शारीरिक और मानसिक बीमारियों को दूर रखने में मददगार साबित हो जाती है। चलिए आपको बताते हैं इसके फायदे और करने का तरीका...

गणेश मुद्रा करने का सही तरीका

1. सबसे पहले सुखासन (आसान मुद्रा) या पद्मासन (कमल मुद्रा) मुद्रा में बैठ जाएं और शरीर को आराम दें।
2. हथेलियों को एक साथ लाकर अंजलि मुद्रा में बैठें। अब  उंगलियों को मोड़कर व हथेली बाहर की ओर रखते हुए बाएं हाथ को छाती के सामने पकड़ें। अपनी उंगलियों को मोड़ें।
3. ध्यान रखें कि बाएं हाथ को दाहिने हाथ से पकड़ें लेकिन हथेली अंदर की तरफ हो।
4. हाथों की उंगलियों को एकसाथ जोड़कर लॉक करें। अब गहरी सांस लें और फिर धीरे-धीरे छोड़ते हुए हाथों को बिना पकड़ को छोड़कर अलग खींच लें।
5. अब हाथों की  स्थिति उल्टा कर दें। इस पूरी प्रक्रिया को कम से कम 6 बार दोहराएं।

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क्यों फायदेमंद है गणेश मुद्रा

इसमें हाथों का इस्तेमाल किया जाता है, ताकि बॉडी के अंदर एनर्जी के प्रत्यक्ष प्रवाह को बढ़ाया जा सके। यह मुद्रा स्किन को ग्लोइंग के साथ-साथ मेटाबॉलिज्‍म को भी मजबूत करती हैं। साथ ही यह आपको कई तरह की बीमारियों से दूर रखती हैं। अगर आप भी खुद को लंबे समय तक फिट और चेहरे पर ग्‍लो चाहती हैं तो अपने रुटीन में मुद्राओं को जरूर शामिल करें।

गणेश मुद्रा से मिलेंगे क्या फायदे

. गणेश मुद्रा और गणेश नमस्कार अल्जाइमर से बचाने में मददगार साबित होते हैं।
 इस मुद्रा के अभ्यास से डाउन सिंड्रोम, डिस्लेक्सिया, अटेंशन-डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर (एडीएचडी) से भी बचाव रहता है। 
. इस योग की मदद से आप अपनी याददाश्त शक्ति एकाग्रता फोकस में सुधार कर सकते हैं
. बच्चों को नियमित यह योग करवाने से उनकी एकाग्रता शक्ति और रचनात्मक कौशल बढ़ाता है।

गणेश नमस्कार फॉर्मेशन

1. इसके लिए सबसे पहले सीधे खड़े हो जाओ और बाजू को अपनी ओर रखें।
2. अब दाहिना हाथ उठाकर बाएं कान के लोब को पकड़ लें। फिर दाहिना हाथ को बाएं हाथ के ऊपर रखें
3. बाएं हाथ को उठाएं और दाहिने कान के लोब को अंगूठे व तर्जनी से पकड़ लें। इस दौरान आपका अंगूठा सामने की तरफ होना चाहिए।
4. अब गहरी सांस छोड़ते हुए धीरे-धीरे बैठ जाएं। इस स्थिति में करीब 2-3 सेकेंड तक रुके।
5. फिर धीरे-धीरे से सांस लेते हुए खड़े हो जाएं। यह एक चक्र पूरा करता है। हर दिन लगभग 10-15 चक्र दोहराएं।

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