डाउन सिंड्रोम यानि ट्राइसॉमी-21 एक आनुवंशिक विकार है जिसमें बच्चा क्रोमोसोम 21 की आंशिक या पूर्ण अतिरिक्त प्रति के साथ पैदा होता है। ऐसे बच्चों को कई शारीरिक, मानसिक और व्यवहार संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि समय पर इलाज के जरिए बच्चों को इस समस्या से छुटकारा दिलाया जा सकता है।
बच्चों में डाउन सिंड्रोम के लक्षण
डाउन सिंड्रोम के लक्षण च्चों में अलग-अलग हो सकते हैं। डाउन सिंड्रोम वाले कुछ बच्चे स्वस्थ हो सकते हैं जबकि दूसरों को गंभीर समस्याएं हो सकती हैं जैसे - दिल के रोग आदि।
. पैदाइशी छोटा सिर, गर्दन, उंगलियां, पैर-हाथ व कान
. चपटा चेहरा और ऊपर की ओर झुकी हुई आंखें
. उभरी हुई जीभ
. खराब मांसपेशी और जोड़ों में अधिक लचीलापन
. त्वचा पर सफेद धब्बे
. समझने में परेशानी होना
डाउन सिंड्रोम के कारण
आमतौर पर शिशु 23 क्रोमोसोम का एक सेट शिशु पिता और दूसरी मां से ग्रहण कर 46 क्रोमोसोम के साथ जन्म लेते हैं। मगर, जब शिशु में एक अतिरिक्त 21वा क्रोमोसोम आ जाता है तो उनके शरीर में इसकी संख्या बढ़कर 47 हो जाती है। ऐसे शिशु को डाउन सिंड्रोम से पीड़ित माना जाता है।
किन बच्चों को अधिक खतरा
. शिशु में अधिकतर यह सिंड्रोम आनुवांशिक होता है।
. 35 या अधिक उम्र में कंसीव करने वाली महिलाओं के शिशु को इसकी संभावना अधिक होती है।
. अगर पहले बच्चे को डाउन सिंड्रोम हो तो दूसरे शिशु में भी इसकी संभावना बढ़ जाता है।
डाउन सिंड्रोम का पता कैसे लगाएं
गर्भावस्था के 13 या 14 हफ्ते स्क्रीनिंग टेस्ट के जरिए इसका पता लगाया जा सकता है। यह एक गैर-इनवेसिव स्क्रीनिंग टेस्ट है, जिससे शिशु में डाउन सिंड्रोम होने की संभावना का पता चलता है। इसके अलावा ड्यूल टेस्ट, ट्रिपल टेस्ट, अल्ट्रा सोनोग्राॅफी के जरिए भी इसका पता लगाया जाता है।
फिलहाल डाउन सिंड्रोम के लिए कोई इलाज उपलब्ध नहीं है लेकिन शिक्षा व उचित देखभाल ऐसे बच्चों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाया जा सकता है।