देश में कोरोना वायरस की दूसरी लहर अभी काफी हद तक थमती हुई नज़र आ रही हैं लेकिन डाॅक्टरों और विशेषज्ञों के मुताबिक खतरा अभी तक टला नहीं है पहले की तरह ही मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना अब भी बेहद जरूरी हैं।
डाॅक्टरों और विशेषज्ञों के मुताबिक कोरोना से संक्रमित हो चुके लोगों में 'लॉन्ग कोविड' बीमारी देखी जा रही हैं जिसके लिए उन्हें सख्त ऐहतियात बरतने की जरूरत हैं। दरअसल, कोरोना से ठीक होने के बाद भी लोगों को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसी परेशानियों को डॉक्टर 'लॉन्ग कोविड' का नाम दे रहे हैं। यानी वो बीमारियां जो कोरोना के बाद लोगों को लंबे समय तक परेशान करती हैं।
कोरोना से ठीक होने के बाद दांतों से खून आना खतरे की घंटी-
बतां दें कि दें कि चेन्नई डेंटल रिसर्च फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ गुनासीलन राजन ने एक न्यूज चैनल के दौरान 'लॉन्ग कोविड' से जुड़ी की अहम जानकारी साझा की हैं। उनके मुताबिक, कोरोना से ठीक होने के बाद दांतों की स्वच्छता को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। डॉक्टर के मुताबिक लंबे वक्त तक दातों से खून आना खतरनाक साबित हो सकता हैं।
कोरोना के बाद दांतों में दिक्कत कहीं बन जाए कैंसर-
डॉक्टर के अनुसार, कई मरीज़ जो कोरोना से ठीक हो गए हैं उन्हें दांतों में दिक्कत आ रही लेकिन इसके बावजूद वो डॉक्टरों के पास जाने से डरते हैं। अगर मरीज फौरन इस समस्या का इलाज नहीं करवाते तो यह दिक्कत अल्सर या गांठ भी बन सकती हैं नतीजन यह कि कुछ महीनों तक नजरअंदाज किए जाने पर कैंसर में भी तबदील हो सकता हैं।
ब्लैक फंगस को नजरअंदाज करना मरीजों को पड़ रहा है भारी-
डॉक्टर ने बताया कि इसके अलावा म्यूकोर्मिकोसिस यानी ब्लैक फंगस का भी खतरा बना रहता है। मैंने खुद देखा है कि मरीजों ने ब्लैक फंगस जैसी चीजों को शुरुआत में नजरअंदाज किया तो बाद में होने में उन्हें कई दिक्कतों का सामना करना पड़ा।
कोविड के ठीक होने के बाद दांतों को ऐसे रखें स्वच्छ-
डॉक्टरके मुताबिक, कोविड के ठीक होने के बाद दांतों की समस्याओं के समाधान के लिए पहला कदम दांतों की अच्छी सफाई है। इसके लिए आप रोजाना रात को सोने से पहले दांतों को ब्रश करना, फ़्लॉसिंग आदि करें। कोविड के दौरान दिन में तीन बार 1 प्रतिशत पोविडोन- आयोडीन माउथवॉश का उपयोग करें और इसे नियमित अपने रूटीन में शामिल करें।
खराब गम मधुमेह के खतरे को बढ़ा सकता है-
डॉक्टर के मुताबिक, मसूड़ों के स्वास्थ्य को अच्छा रखना बहुत जरूरी है। क्योंकि खराब गम स्वास्थ्य मधुमेह के खतरे को बढ़ा सकता है। इसलिए, डेंटिस्ट के साथ नियमित जांच और लगातार अल्ट्रासोनिक स्केलिंग आवश्यक है।
मसूड़ों में दर्द या दांत दर्द बिल्कुल भी नज़रअंदाज न करें-
वहीं सबसे ध्यान देने वाली बात यह है कि मसूड़ों में दर्द या दांत दर्द आदि जैसे लक्षणों की बिल्कुल भी नज़रअंदाज न करें, क्योंकि ये भी ब्लैक फंगस के लक्षण हो सकते हैं।