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महिला सुरक्षा को लेकर सरकार ने उठाए 7 कड़े कदम, पुलिस ने ना लिखी FIR तो अब होगी...

  • Edited By Janvi Bithal,
  • Updated: 11 Oct, 2020 01:57 PM
महिला सुरक्षा को लेकर सरकार ने उठाए 7 कड़े कदम, पुलिस ने ना लिखी FIR तो अब होगी...

देश में आए दिन महिलाओं के प्रति अपराध बढ़ते जा रहे हैं। रेप की घटनाएं रूकने का नाम नहीं ले रही हैं। महिलाओं के प्रति बढ़ रहे अपराधों के कारण लोग सिस्टम पर सवाल उठा रहे हैं।  वहीं हाल ही में गृह मंत्रालय ने महिलाओं के खिलाफ बढ़ रहे अपराधों के लेकर नई एडवाइजरी जारी की है। 

गृह मंत्रालय ने जारी की एडवाइजरी 

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गृह मंत्रालय द्वारा जारी की गई गाइडलाइन में साफ कहा है कि FIR दर्ज करने में किसी भी तरह की कोई आनाकानी नहीं होनी चाहिए। इतना ही नहीं गृह मंत्रालय ने यह चेतावनी भी दी है कि अगर लापरवाही बरती गई तो उस अधिकारी के खिलाफ सख्‍त से सख्‍त कार्रवाई की जानी चाहिए। गृह मंत्रालय ने राज्य सरकारों को नया परामर्श जारी किया है जिसके बाद महिला सुरक्षा को लेकर अब नए सिरे से जांच और गाइडलाइन का पालन करना होगा।

इस प्रकार है MHA की एडवाइजरी

गृह मंत्रालय द्वारा जारी की गई गाइडलाइन इस प्रकार है

1. अपराध के खिलाफ FIR नहीं लिखी तो होगी सख्त कार्यवाही

संज्ञेय अपराध की स्थिति में FIR दर्ज करना अनिवार्य है, जिसके तहत कानून में ‘जीरो एफआईआर’ का भी प्रावधान है (अगर अपराध थाने की सीमा से बाहर हुआ है)

2. शिकायत ना लिखने वाले अधिकारी को मिलेगी सख्त सजा

IPC की धारा 166 A(c) के तहत, एफआईआर दर्ज न करने पर अधिकारी को सजा का प्रावधान है।

3. MHA ने एक ऑनलाइन पोर्टल बनाया है, जिससे मामलों की मॉनिटरिंग की जाएगी 

.सीआरपीसी की धारा 173 में बलात्‍कार से जुड़े मामलों की जांच दो महीनों में करने का प्रावधान है। MHA ने इसके लिए एक ऑनलाइन पोर्टल बनाया है जहां से मामलों की मॉनिटरिंग हो सकती है। 

4. 24 घंटे के अंदर पीड़‍िता की सहमति से रजिस्‍टर्ड मेडिकल प्रैक्टिशनर मेडिकल जांच होनी चाहिए

. सीआरपीसी के सेक्‍शन 164-A के अनुसार, बलात्‍कार/यौन शोषण की मामले की सूचना मिलने पर 24 घंटे के भीतर पीड़‍िता की सहमति से एक रजिस्‍टर्ड मेडिकल प्रैक्टिशनर मेडिकल जांच करेगा।

5. इंडियन एविडेंस एक्‍ट की धारा 32(1) के अनुसार, मृत व्यक्ति का बयान भी मान्य होगा

इंडियन एविडेंस ऐक्‍ट की धारा 32(1) के अनुसार, मृत व्‍यक्ति का बयान जांच में अहम तथ्‍य होगा।

6.  बालात्कार/यौन शोषण मामलों में फोरेंसिंक साइंस सर्विसिज डायरेक्‍टोरेट की गाइडलाइन का पालन करना होगा।

फोरेंसिंक साइंस सर्विसिज डायरेक्‍टोरेट ने यौन शोषण के मामलों में फोरेंसिंक सबूत इकट्ठा करने, स्‍टोर करने की गाइडलाइंस बनाई हैं। उनका पालन हो।

7. लापरवाही करने पर अधिकारियों के खिलाफ सख्‍त कार्यवाही होगी 

 अगर पुलिस इन प्रावधानों का पालन नहीं करती तो न्‍याय नहीं हो पाएगा। अगर लापरवाही सामने आती है तो ऐसे अधिकारियों के खिलाफ सख्‍त से सख्‍त कार्रवाई होनी चाहिए।

क्यों जरूरी है एडवाइजरी?

अक्सर ऐसा देखा जाता है कि महिलाओं के खिलाफ अपराध को लेकर पुलिस कईं बार सही तरह से काम नहीं करती है। शिकायत न दर्ज करना या फिर केस को कमजोर करने की कोशिश करना ऐसे में पीड़ित परिवार न्याय के लिए पुलिस स्टेशन के ही चक्कर लगाते रह जाते हैं। गृह मंत्रालय ने जारी की गई एडवाइजरी में जांच प्रक्रिया पर जोर दिया है जिसका साफ अर्थ है कि महिलाओं के केस में पुलिस सही तरीके से जांच नहीं करती है। 

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