कोरोना वायरस की दूसरी लहर जहां थमती हुई नज़र आ रही है वहीं अब देश में दोबारा से केस सामने आते देख तीसरी लहर की आशंका सच साबित होती दिखाई दे रही हैं। बता दें कि जब से कोरोना माहमारी फैली है तब से एक्सपर्ट और डाॅक्टरों की इस पर रिसर्च जारी है वहीं, हर रोज नए-नए शोध सामने आ रहे हैं जिसमें कई अहम जानकारियों के बारे में बताया जा रहा है।
कोरोना से ठीक होने के बाद यदि सांस संबंधी तकलीफ है तो इसे हल्के में न लें
वहीं इस बीच एक नई रिसर्च में सामने आई है कि जिसमें बताया गया है कि कोरोना से ठीक हुए लोगों को यदि सांस संबंधी तकलीफ होती है तो इसे हल्के में न लें। वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ मेडिसिन के वैज्ञानिकों के मुताबिक कोरोना वायरस फेफड़ों को नुकसान पहुंचा सकता है और वायरस का संक्रमण खत्म होने के बाद भी इससे उबर चुके व्यक्ति को सांस की तकलीफ लंबी हो सकती है, जो आगे चलकर एक गंभीर बीमारी का रूप भी ले सकती है।
सांस फूलना, लगातार खांसी आए तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें
रिसर्च में वैज्ञानिकों का कहना है कि कोरोना की रिपोर्ट निगेटिव होने के बाद कुछ लोगों को सांस फूलना, लगातार खांसी आती है, ऐसे में तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। वैज्ञानिकों का दावा है कि कोरोना के बाद फेफड़ों से जुड़ी दिक्कतें गंभीर और लंबी चलने वाली बीमारी का संकेत है।
कोरोना से दुनिया में करोड़ों लोग ठीक हुए हैं लेकिन वह पूरी तरह से स्वस्थ नहीं
वैज्ञानिकों का कहना है कि कोरोना से दुनिया में करोड़ों लोग ठीक हुए हैं, लेकिन लोग ठीक होने के बाद समझ रहे हैं कि हमें कुछ नहीं होगा और वो स्वास्थ्य संबंधी तकलीफों पर ध्यान नहीं दे रहे हैं, जबकि लंबे समय तक चलने वाली सांस की तकलीफ का पता आने वाले कुछ समय या सालों में चलेगा।
स्कूल ऑफ मेडिसिन के प्रमुख रिसर्चर और सेल बायोलॉजी के प्रो. हर्मन सेल्डिन बताते है कि वैक्सीन, एंटीवायरल और एंटीबॉडी थेरेपी ऐसे मामलों में अंतिम हल नहीं है। वहीं एक अन्य शोधकर्ता का दावा हैं कि कोरोना से ठीक होने का मतलब पूरी तरह ठीक होना नहीं है।
इंफेक्शन के ठीक होने के बाद भी फेफड़ों को नुकसान पहुंचता है
कोरोना संक्रमण के बाद किए गए शोध में बताया गया है कि इंफेक्शन के ठीक होने के बाद फेफड़ों को नुकसान पहुंचता है। चूहों पर किए गए परीक्षण में देखा गया कि संक्रमण के बाद फेफड़े क्षतिग्रस्त होते हैं, वहीं यह भी देखा गया है कि आईल-33 प्रोटीन असंतुलन से फेफड़ों में सूजन के साथ कफ बनने लगता है, जो कि लंबी और गंभीर बीमारी का संकेत है।