06 MAYMONDAY2024 3:38:40 AM
Nari

गुजरात के स्कूलों में अब बच्चे पढ़ेंगे भगवद्गीता, विधानसभा में पास हुआ प्रस्ताव

  • Edited By palak,
  • Updated: 11 Feb, 2024 11:36 AM
गुजरात के स्कूलों में अब बच्चे पढ़ेंगे भगवद्गीता, विधानसभा में पास हुआ प्रस्ताव

हिंदू धर्म में ऐसी कई किताबें हैं जो जिंदगी को जीने का मायना सिखाती हैं। झूठ-फरेब से दूर यह किताबें धार्मिक प्रथाओं का अर्थ भी बताती हैं। उन्हीं किताबों में से एक है भगवद्गीता। भगवद्गगीता में ऐसे कई अध्याय हैं जो बच्चों और बड़ों को जिंदगी की कई अच्छी शिक्षाएं देते हैं। अब इन्हीं सभी बातों को देखते हुए गुजरात विधानसभा में सर्वसम्मति के साथ एक प्रस्ताव पारित हुआ है। इस प्रस्ताव को पास कर राज्य की बीजेपी पार्टी ने सरकार से स्कूलों में भगवद्गीता पढ़ाने का अनुरोध किया है। आम आदमी पार्टी ने इस प्रस्ताव का स्वागत किया है और इसे अपना सर्मथन दिया है। हालांकि कांग्रेस सदस्यों ने शुरुआत में इसका विरोध किया लेकिन बाद में इसका समर्थन किया जिसके बाद सदन में सरकार का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पास हो गया। 

छठी से लेकर 12वीं कक्षाओं को पढ़ाई जाएगी भगवद्गीता 

पिछले साल दिसंबर में राज्य शिक्षा विभाग ने इस बात की घोषणा की थी कि भगवद्गीता के आदर्शों और मूल्यों को अगले शैक्षणिक वर्ष से कक्षा छठी से लेकर 12वीं तक के स्कूलों में पढ़ाई जाएगी। यह प्रस्ताव शिक्षा राज्य मंत्री प्रफुल्ल पंशेरिया ने सदन में पेश किया। पंशेरिया ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 छात्रों में भारत की समृद्ध और अलग-अलग संस्कृति और ज्ञान प्रणालियों तथा परंपराओं के प्रति गर्व और जुड़ाव की भावना पैदा करने पर जोर देती है। 

PunjabKesari

9वीं से 12वीं  तक कहानियों और पाठ के तौर पर शामिल भगवद्गीता

पंशेरिया ने कहा कि कक्षा छठी से 8वीं तक इसे पूरी तरह से शिक्षण विषय के पाठ्यपुस्तक में कहानी और पाठ के तौर पर पेश किया जाएगा।  वहीं कक्षा 9वीं से 12वीं तक कहानियों और पाठ के तौर पर भगवद्गीता की शिक्षाओं को पहली भाषा पाठयक्रम में शामिल किया जाएगा। 

बच्चों के लिए बेहद फायदेमंद भगवद्गीता के श्लोक 

कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।

मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि ॥

बच्चों को अक्सर आदत होती है कि जब वह कोई काम करते हैं तो उसके परिणाम का बहुत ही बेसब्री से इंतजार रहता है। ऐसे में यह श्लोक उनके बहुत काम आ सकता है। इस श्लोक का अर्थ है कि कर्म पर ही तुम्हारा अधिकार है, कर्म के फलों में कभी नहीं। इसलिए कर्म को फल की इच्छा के लिए ना करो। 

PunjabKesari

क्रोधाद्भवति संमोह: संमोहात्स्मृतिविभ्रम:।

स्मृतिभ्रंशाद्बुद्धिनाशो बुद्धिनाशात्प्रणश्यति॥

अर्थ- क्रोध से मनुष्य की बुद्धि ही मारी जाती है। बुद्धि का नाश होने पर मनुष्य खुद अपने आप को नाश कर देते है। कुछ बच्चों को बहुत ही गुस्सा आता है।  ऐसे में यह श्लोक उन्हें गुस्सा करने से होने वाले नुकसानों से अवगत करवाता है। 

PunjabKesari
 

Related News