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क्या आप जानते हैं भगवान  शिव ने क्यों लिया था काल भैरव का अवतार? यहां पढ़िए पूरी कहानी

  • Edited By vasudha,
  • Updated: 17 Feb, 2025 07:58 PM
क्या आप जानते हैं भगवान  शिव ने क्यों लिया था काल भैरव का अवतार? यहां पढ़िए पूरी कहानी

नारी डेस्क: हिन्दू धर्म में देवी-देवताओं के विभिन्न अवतारों का जिक्र है, जिनमें से ज्यादातर अवतार भगवान विष्णु और शक्ति के रहे हैं। वैसे  आज हम आपको भोलेनाथ के भीषण अवतार, भैरव से अवगत करवाएंगे जिन्हें उनके भक्त अपना रक्षक मानते हैं। भगवान शिव का काल भैरव रूप उनके उन कठोर और संहारक रूपों में से एक है, जिसे उन्होंने विशेष परिस्थितियों में अपनाया था। इस अवतार का मुख्य उद्देश्य अहंकार, समय के दमन, और मृत्यु के भय को समाप्त करना माना जाता है।

 

शिव के रौद्र रूप से प्रकट हुए काल भैरव

स्कंद पुराण  के अनुसार एक बार त्रिदेव यानि ब्रह्मा, विष्णु और शिव में इस बात को लेकर बहस होने लगी कि आखिर हम तीनों में श्रेष्ठ कौन है? तीनों ही स्वयं को महान बता रहे थे, तब फैसले के लिए ऋषि-मुनियों को बुलाया गया। ऋषि मुनियों ने बहुत ही सोच-विचार कर भगवान शिव को त्रिदेवों में सर्वश्रेष्ठ बताया। ऋषि मुनियों के मुख से शिवजी की प्रसन्नता सुन ब्रह्मा जी नाराज हो गए और उन्हें शिव से ईर्ष्या होने लगी। इस तरह क्रोध और इर्ष्या में आकर उन्होंने शिवजी को अपशब्द कह दिए। ब्रह्मा जी द्वारा किए अपमान से शिवजी बहुत क्रोधित हो गए और उनके क्रोध ने रौद्र रूप धारण कर लिया। इसी रौद्र रूप से काल भैरव की उत्पत्ति हुई. क्रोध की ज्वाला में काल भैरव इतने जल रहे थे कि उन्होंने प्रकट होते ही ब्रह्मा जी का पंचम सिर काट दिया, इस तरह से काल भैरव पर ब्रह्म हत्या का पाप लग गय। 


समय और मृत्यु का नियंत्रण

काल भैरव को समय और मृत्यु के देवता के रूप में भी माना जाता है। वे अपने भक्तों के जीवन से सभी प्रकार के संकटों को दूर करते हैं और भय मुक्त करते हैं।  "काल" शब्द समय का प्रतीक है, और "भैरव" का अर्थ भयावह होता है। काल भैरव के रूप में शिव, समय की अनिश्चितता और मृत्यु के अपरिहार्य सत्य का प्रतिरूप हैं। यह अवतार दर्शाता है कि जीवन में परिवर्तन, विनाश और पुनर्निर्माण एक अनिवार्य प्रक्रिया है, और यह हमें यह सीख देता है कि अहंकार और अनियंत्रण का अंत निश्चित है।

 

भय और विनाश का दमन

काल भैरव के रूप में शिव अपने भक्तों को यह संदेश देते हैं कि मृत्यु और समय का भय केवल हमारे मन में उत्पन्न होता है। उनका यह रूप हमें चेतावनी देता है कि जीवन में सच्ची भक्ति, विनम्रता और संतुलन ही हमें वास्तविक शक्ति प्रदान करते हैं। इस भयावह रूप के माध्यम से, शिव हमें यह सिखाते हैं कि जीवन में विनम्रता, संयम और भक्ति ही हमारे अस्तित्व के वास्तविक मार्ग हैं। इस प्रकार, काल भैरव का अवतार हमारे लिए एक प्रेरणा है कि हम अपने अहंकार को त्यागें, समय के साथ तालमेल बिठाएं, और मृत्यु के भय से ऊपर उठकर जीवन में संतुलन बनाए रखें।
 

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