आपको वो समय तो याद ही होगा जब लड़की के पैदा होता ही उसकी शादी के सपने देखे जाते थे। उसे एक आजाद पंछी की तरह उड़ने नहीं दिया जाता था। न ही उसे स्कूल भेजा जाता था। लड़कियां बस उस समय घर की 4 दिवारी में ही रहती थी लेकिन कहते हैं ना कि इस संसार का एक नियम है कि समय जरूर बदलता है। बेशक इसके बदलाव में समय लगता है लेकिन समय न बदले ऐसा तो हो ही नहीं सकता है। हाल ही में सोशल मीडिया पर एक ऐसी ही कहानी और एक तस्वीर वायरल हो रही है जिसे सुन कर आप का भी दिन बन जाएगा।
दरअसल इन दिनों आपने सोशल मीडिया पर एक ऑटो चालक देसराज की तस्वीर देखी होगी। देसराज आज हर किसी की जुबां पर हैं। अब भई उन्होंने जो काम किया है उसे तो हम भी सलाम करते हैं।
दरअसल देस राज एक बुजुर्ग ऑटो ड्राइवर है। देसराज के 2 बेटे थे लेकिन दोनों की मौत हो गई जिसके बाद पूरे परिवार की जिम्मेदारी उन पर आ गई। इस समय उनके लिए 7 लोगों की जिम्मेजारी उठाना काफी मुश्किल था लेकिन वह रूके नहीं। इसके बाद देसराज के दूसरे बेटे ने आत्महत्या कर ली और उनकी जिंदगी को एक बार फिर से धक्का लग गया। लेकिन फिर भी वह हारे नहीं।
देसराज ने कहा- जब तक पढ़ना चाहती हो पढ़ो
घर के हालातों का असर बच्चों पर काफी पड़ती है और ऐसा ही कुछ हुआ देसराज की पोती के साथ। घर में आर्थिक तंगी के कारण देसराज की पोती ने एक बार उनसे कहा कि उन्हें अपनी पढ़ाई छोड़नी पडे़गी तो इस पर देसराज ने उन्हें कहा कि वह जब तक पढ़ना चाहती हैं पढ़ें। लेकिन दिन प्रतिदिन परिवार की भी जिम्मेदारी बढ़ने लगी और देसराज ने सुबह के 6 बजे से ही ऑटो चलाना शुरू कर दिया।
पोती लाई 80 प्रतिशत तो लोगों को फ्री में कराई ऑटो सवारी
धीरे-धीरे जब उनकी पोती बढ़ती गई तो उसने 12वीं में 80 प्रतिश लिए जिसके बाद देसराज ने इस खुशी में लोगों को फ्री में ऑटो सवारी करवाई।
पोती की पढ़ाई के लिए बेच दिया घर
12वीं के बाद जब पोती ने दादा के सामने बीएड की पढ़ाई करने के लिए इच्छा जाहिर की तो उस समय देसराज यह जानते थे कि उनके पास पैसे नहीं है लेकिन फिर भी उन्होंने अपनी पोती को पढ़ने से रोका नहीं और पोती की पढ़ाई के लिए घर तक बेच दिया। उस समय बाकी परिवार वाले तो रिश्तेदार के घर में रूक गए लेकिन देसराज ऑटो में ही रहने लगे और उसे ही अपना घर बना लिया।
सोशल मीडिया पर वायरल हुई कहानी तो मदद के लिए लोग आए आगे
देसराज की यह दिल छू लेने वाली कहानी जब सोशल मीडिया पर आग की तरह फैल गई तो हर किसी ने देसराज के इस कदम की सराहना की। इतना ही नहीं एक पेज ने भी उनकी स्टोरी शेयर कर लोगों से मदद की गुहार लगाई थी जिसका लक्ष्य 20 लाख रूपए इक्ट्ठा करना था लेकिन लोगों ने देसराज को 24 लाख की मदद की और इसका चेक भी उन्हें सौंपा गया है।
सच में देसराज की इस सोच को हम भी सलाम करते हैं। यह हमारे समाज की आज की सबसे खूबसूरत और बदलाव भरी तस्वीर है।