
नारी डेस्क: मर्यादा पुुरुषोत्तम भगवान श्रीराम की नगरी एक बार फिर अद्भुत नजारे की गवाह बनने जा रही है। इस बार भी रामनवमी के पावन मौके पर सूर्य की किरणें रामलला के मस्तक पर पड़ेंगी और दर्पण व लेंस से जुड़े एक विस्तृत तंत्र द्वारा उनका 'सूर्य तिलक' होगा। जिस तरह प्रभु राम के विराजमान होने के पहले रामनवमी पर सूर्य की किरणें प्रभु राम के मस्तक पर सुशोभित हुई थी, इस बार भी कुछ वैसा ही होगा।

श्री रामनवमी के दिन भगवान राम के मस्तक पर सूर्य की रोशनी लाई जाएगी। रामलला के मस्तक के केंद्र पर तिलक लगाने की सही अवधि लगभग तीन से साढ़े तीन मिनट है, जिसमें दो मिनट पूर्ण रोशनी होती है। पिछली बार सूर्य तिलक के दौरान मंदिर ट्रस्ट द्वारा लगभग 100 एलईडी और सरकार द्वारा 50 एलईडी लगाई गई थी। इस बार भी कुछ इसी तरह की तैयारी की गई है।

वैदिक पंचांग के अनुसार, चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि 05 अप्रैल को शाम 07 बजकर 26 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन यानी 06 अप्रैल को शाम 07 बजकर 22 मिनट पर समाप्त होगी। सनातन धर्म में उदया तिथि मान है। अतः 06 अप्रैल को राम नवमी मनाई जाएगी। इस पावन पर सूर्य का प्रकाश राम मदिर के गर्भगृह में विराजी रामलला की मूर्ति के माथे पर तिलक की तरह प्रकाशमान होगी। पौराणिक कथाओं के मुताबिक, भगवान श्रीराम सूर्यवंशी थे, इसलिए उन्हें सूर्य तिलक किए जाने की परंपरा है।

बताया जा रहा है कि हर साल राम नवमीं के दिन रामलला की मूर्ति के माथे पर सूर्य की किरणों से तिलक होगा। इसके लिए राम मंदिर के तीसरी मंजिल से लेकर रामलला की मूर्ति तक पाइपिंग और आप्टो मैकेनिकल सिस्टम से सूर्य की किरणें रामलला की मूर्ति तक पहुंचेंगी। बता दें कि गुजरात के कोबा जैन मंदिर में भी हर साल सूर्य तिलक देखने को मिलता है।