मशहूर संगीतकार और ऑस्कर विजेता भारतीय संगीतकार ए आर रहमान आज अपना 55वां बर्थडे मना रहे हैं। बॉलीवुड के 'हम्मा-हम्मा' और 'छैय्या-छैय्या' जैसे गानों से धमाल मचाने वाले रहमान को आज किसी पहचान की जरुरत नहीं है। ऑस्कर विनर संगीतकारक सुखिर्यों में रहने के साथ- साथ विवादों में भी रह चुके हैं। उनकी एक फिल्म ने पूरी दुनिया में कुछ ऐसा तूफान मचाया था कि उनके खिलाफ फतवा जारी हो गया था।
रहमान के खिलाफ जारी हो गया था फतवा
पैग़ंबर मोहम्मद पर बनी फ़िल्म मुहम्मद द मैसेंजर ऑफ गॉड में संगीत देने के कारण एआर रहमान को आलोचना का सामना करना पड़ा था। सुन्नी मुस्लिम समुदाय ने संगीतकार एआर रहमान को फतवा जारी कर उनपर पैगंबर का मजाक बनाने का आरोप लगाया था। संगीतकार ने इसका जवाब देते हुए अपने फेसबुक पर लिखा- "मैं इस्लाम का विद्वान नहीं हूं। मैं पश्चिम और पूर्वी संस्कृति दोनों को जीता हूं और सभी लोगों को जैसे वो हैं, वैसे ही प्यार करता हूं।"
रहमान ने दिया था आलोचकों का जवाब
रहमान ने लिखा था कि-, 'धार्मिक स्वतंत्रता वाले भारत जैसे देश में रहने के कारण हम खुद को भाग्यशाली मानते हैं। इस देश में सभी समुदाय शांति और सामंजस्य व बिना किसी हुल्लड़बाजी तथा हिंसा के रहते हैं।' विवाद यहीं खत्म नहीं हुआ था, विश्व हिन्दू परिषद ने तो उन्हे घर वापसी का सुझाव दे डाला था। परिषद ने कहा था कि संगीतकार एआर रहमान के लिए घर वापसी का यह सही समय है।
चकाचौंध से दूर रहते हैं रहमान
तड़क-भड़क और शोहरत की चकाचौंध से दूर रहने वाले ए आर रहमान की जिंदगी ने एक नई करवट तब ली थ्री जब उन्होंने हिंदू धर्म को छोड़कर इस्लाम कबूल कर लिया था। रहमान कहते हैं- भारतीय फिल्मी-दुनिया में लोग कामयाबी के लिए मुस्लिम होते हुए हिन्दू नाम रख लेते हैं, लेकिन मेरे मामले में इसका उलटा है यानी था मैं दिलीप कुमार और बन गया अल्लाह रक्खा रहमान।