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शायरा डॉ. सुल्ताना बेगम का हुआ निधन, लंबे समय से थी बीमार

  • Edited By palak,
  • Updated: 29 May, 2022 11:41 AM
शायरा डॉ. सुल्ताना बेगम का हुआ निधन, लंबे समय से थी बीमार

जानी मानी शायरा के नाम से जानने वाली सुल्ताना बेगम का 72 की उम्र में शनिवार को पटियाला में निधन हो गया है। वह लंबे समय से बीमार चल रही थी। उनका जन्म मुस्लिम परिवार में हुआ था। सुल्ताना बेगम ने सिख भांगड़ा कलाकार अवतार सिंह तारी से शादी की थी। जिससे उनकी दो बेटियां भी हैं। रविवार यानि आज के दिन उन्होंने पंजाबी सभ्याचारी नारी विरसा मंच की तरफ से भाषा विभाग में रखे हुए कार्यक्रम में अतिथि के तौर पर जाना था। लेकिन शनिवार को ही सुल्ताना का निधन हो गया। सुल्ताना पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड के डिप्टी डायरेक्टर पद से रिटायर हुई थी। 

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सुल्ताना का जीवन और करियर 

सुल्ताना का जन्म पटियाला में 1949 मेंं एक मुस्लिम परिवार में हुआ था। उन्होंने पंजाबी और उर्दू में एम.ए की और उसके बाद सुल्ताना से रंगमंच में पीएचडी की थी। सुल्ताना ने फारसी भाषा में डिप्लोमा भी किया था। मोहाली में पंजाबी स्कुल शिक्षा बोर्ड के साथ भी सुल्ताना ने काम किया था। पंजाब विश्वविद्यालय ने सुल्तान को प्रोफेसर जोगा सिंह पुरस्कार के साथ सम्मानित भी किया था। 

प्रमुख शायरियां

 बेगम सुल्ताना की मुख्य शायरियों में से कतरा-कतरा जिंदगी, लाहौर किनी दूर, शिगूफे, गुलजारां और बहांरा शामिल हैं। 

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पंजाब साहित्य सभा के प्रधान ने जताया दुख

डॉ. सुल्ताना पटियाला की रहनी वाली थी। वह इन दिनों अपनी बेटियों के साथ पटियाला में रह रही थी। उनके निधन पर पंजाब साहित्य सभा के प्रधान डॉ. दर्शन सिंह आशय ने शोक प्रकट करते हुए कहा- 'डॉ. सुल्ताना के निधन से पंजाबी साहित्य क्षेत्र को बहुत ही हानि पहुंची है।' 

पंजाब शिक्षा मंत्री ने भी जताया दुख 

सुलताना का शनिवार की रात को पटियाला में निधन हो गया था। खबरों की मानें तो उनका संस्कार मंगलवार को किया जाएगा। पंजाब के शिक्षा मंत्री गुरमीत सिंह मीत हेयर और पंजाब लोक विरासत अकेडमी के अध्यक्ष गुरभजन सिंह गिल ने सुल्ताना के निधन पर शोक जताया है। 

2007 में लिखना शुरु किया 

प्राप्त हुई जानकारी के अनुसार, बेगम सुल्ताना का परिवार पाकिस्तान से आया था। उन्होंने पंजाब यूनिवर्सटी चंडीगढ़ से संबंधित सिख भांगड़ा कलाकार अवतार सिंह तारी से शादी की थी। उनकी दो बेटियां भी हैं। उन्होंने अपने जीवन का एक बड़ा हिस्सा पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड में काम करते हुए बिताया था। उन्होंने स्कूल की बहुत सारी पाठ्य पुस्तकें भी लिखीं। नौकरी से रिटायरमेंट लेने के बाद 2007 में सुल्ताना ने लिखना शुरु कर दिया और उनकी शायरी को लोगों का बहुत प्यार मिला। 

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