जैसे ही श्रीराम के नाम को याद करें तो रामानंद सागर की 'रामायण' में राम का किरदार निभाने वाले अरुण गोविल की छवि आंखों के सामने आ जाती है। लोग आज भी उन्हें वहीं सम्मान देते हैं। इस किरदार को निभाने के बाद वह घर-घर फेमस हो गए। कुछ फैंस ऐसे हैं जो आज भी उनके पैर छूते हैं। राम मंदिर अयोध्या में भी उनका स्वागत किया गया। जी हां अरुण गोविल, सुनील लहरी और दीपिका चिखलिया प्राण प्रतिष्ठा समारोह के लिए अयोध्या पहुंच गए हैं। लोग उन्हें एक साथ देखकर बहुत उत्साहित हो गए, लेकिन राम का किरदार निभाकर अरुण गोविल फेमस तो हुए लेकिन इस पॉपुलैरिटी के चलते उन्हें काम नहीं मिला। इतने साल तो वह लाइमलाइट से बिलकुल गायब ही रहे। चलिए उनकी जिंदगी से जुड़ी कुछ बातें आपको बताते हैं।
अरुण गोविल का जन्म 12 जनवरी 1952 को उत्तर प्रदेश, मेरठ का है। उनके पिता चंद्र प्रकाश गोविल सरकारी अधिकारी थे। अरुण, 6 भाई और 2 बहनें हैं। आठ संतानों में वह चौथे नंबर पर आते हैं। उन्होंने चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ से पढ़ाई की और पढ़ाई के दौरान ही वह नाटकों में काम करते थे। उनकी टीनएज लाइफ सहारनपुर में बीती है। हालांकि उनके पिता चाहते थे कि वह भी सरकारी नौकरी करें लेकिन अरुण कुछ अलग करना चाहते थे। बस इसी चाह में वह
मुंबई में पहुंचे थे। वैसे वह बिजनेस करने का सपना लेकर मुंबई गए थे लेकिन बाद में उन्होंने एक्टिंग का रास्ता चुन लिया।
रामायण के राम बनने के बाद ही उन्हें पहचान मिली हालांकि इससे पहले वह फिल्मों में आ चुके थे। उन्हें पहला ब्रेक 1977 में ताराचंद बडजात्या की फिल्म 'पहेली' में मिला। उसके बाद उन्होंने 'सावन को आने दो', 'सांच को आंच नहीं', 'इतनी सी बात', 'हिम्मतवाला', 'दिलवाला' (1986), 'हथकड़ी' और 'लव कुश' जैसी कई बॉलीवुड फिल्मों में अहम भूमिका निभाई। उसके बाद वह रामानंद सागर के सबसे पहले सीरियल 'विक्रम और बेताल' में राजा विक्रमादित्य का रोल निभाते दिखे। लेकिन 1987 में 'रामायण' में भगवान राम के रोल ने उन्हें घर-घर फेमस कर दिया। इस रोल से वे इतने पॉपुलर हुए कि आज भी लोग उन्हें टीवी के राम कहकर ही बुलाते हैं।
लेकिन श्रीराम का किरदार निभाने के बाद उन्हें शोहरत तो मिली लेकिन काम नहीं। क्योंकि वह जब भी किसी प्रोड्यूसर-डायरेक्टर के पास रोल मांगने जाते तो वह उन्हें काम देने से मना कर देते थे और कहते थे कि आप तो भगवान राम है, आपकी छवि तो बहुत बड़ी है, हम आपको सपोर्टिंग रोल के लिए कास्ट नहीं कर सकते। इस वजह से उन्हें करीब 14 साल तक काम नहीं मिला।
एक इंटरव्यू के दौरान खुद अरुण ने बताया था कि राम का किरदार निभाने के बाद लोग उन्हें असल में भगवान राम मानने लगे थे। वे जहां जाते थे लोग उन्हें देखकर हाथ जोड़ने लगते और उनके पैर छूने लगते थे। अगरबत्ती तक जलाने लगे थे। इतना ही उन्हें फिल्मों में भी इसी तरह के रोल ऑफर होने लगे थे। इसी के चलते उन्होंने एक्टिंग से दूरी बना ली थी।
काम नहीं मिला तो उन्होंने अपना बिजनेस शुरू किया। वह मुंबई में अपनी प्रोडक्शन कंपनी चलाते हैं जो दूरदर्शन के लिए सीरियल्स बनाती है हालांकि एक लंबे समय के बाद उन्हें फिर से काम मिलने लगा। फिर उन्होंने रामायण के बाद लव कुश, कैसे कहूं, बुद्धा, अपराजिता, वो हुए ना हमारे और प्यार की कश्ती में जैसे कई टीवी सीरियल्स किए लेकिन वो फेम नहीं मिला जो रामायण से मिला। अरुण गोविल एक अभिनेता होने के साथ-साथ निर्माता भी है। बता दें उन्होंने रामायण और बहुत सी हिन्दी, भोजपुरी, उड़िया, ब्रज भाषा और तेलुगु फिल्मों में काम किया है।
पर्सनल लाइफ की बात करें तो उन्होंने एक्ट्रेस श्रीलेखा गोविल से शादी की और उनके दो बच्चे हैं। बेटे का नाम अमल और बेटी का नाम सोनिका गोविल है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अरुण गोविल के पास 5 मिलियन यानी 38 करोड़ रुपये से ज्यादा की संपत्ति हैं। उनकी कमाई का जरिए एक्टिंग विज्ञापन और उनका बिजनेस है। शायद आप जानते ना हो उनके बड़े भाई विजय गोविल की शादी तबस्सुम से हुई है,जो पूर्व बाल अभिनेत्री रही और दूरदर्शन पर आने वाले फूल खिले हैं गुलशन गुलशन की मेजबानी करती थीं।